तिसरी, गिरिडीह
जिले के तिसरी प्रखंड में मनरेगा योजना अब धीरे धीरे बंदरबांट योजना बनते जा रहा है। प्रखंड में मनरेगा में संचालित योजनाओं में बोर्ड न लगा होना और मजदूरों से काम न करवाकर मशीनों से काम करवाना आम बात हो चुका है। ऐसा ही कई मामला चंदौरी पंचायत से निकल कर सामने आया है, जहां मनरेगा से निर्माण किए गए योजनाएं आपको हैरान कर देगा।
आपको बता दें कि ग्राम बलरो में संजय तुरी के जमीन पर मनरेगा से डोभा का निर्माण किया गया और यह डोभा बन कर तैयार भी हो गया। लेकिन इसमें हैरानी की बात तो यह है कि 1 लाख 90 हजार 141 रुपए की राशि से बनने वाला डोभा मात्र 93 हजार 624 रुपए में बन कर तैयार हो गया। इस योजना को स्वीकृत 31 जनवरी 2024 को किया गया था और इसे 6 माह के अंदर बनना था।
इसके अलावा भी अगर बात करें तो कई ऐसे योजना इसके आसपास नजर आए जिसमें बोर्ड नहीं लगा है। वहीं जिओ टैग स्थान के कुछ दूरी तक योजना भी नजर नहीं आता हैं। इसके अलावा कई कूप ऐसे भी है जो बनकर तैयार हैं, लेकिन उनमें एक बूंद पानी भी नहीं है। तो ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि मनरेगा में तिसरी में बंदरबांट का खेल किस हद तक हावी है और कैसे यहां मात्र प्राक्कलित राशि के आधे खर्च में योजना बन कर तैयार हो जा रहा है।
इधर मामले को लेकर जब उक्त पंचायत के रोजगार सेवक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिसमें डोभा का काम पूरा अब तक नहीं हुआ है। वहीं कुएं में पानी नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दीवार में दरार आने के कारण उसमें पानी नहीं है।