Tisri: प्राथमिक विद्यालय कठगोलवा में विभागीय अनदेखी के कारण बच्चे हो रहे हैं शिक्षा से वंचित, पठन पाठन के कार्य के जगह बच्चों से लगवाया जा रहा है झाड़ू, विकास फंड का भी हो रहा है दुरुपयोग


गिरिडीह

जिले के तिसरी प्रखंड के गडकुरा पंचायत स्थित प्राथमिक विद्यालय कठगोलवा में इन दिनों विद्यालय के सचिव की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है। यहां 44 बच्चों का नामांकन के बावजूद दर्जन भर बच्चे भी पढ़ने नहीं आ रहे हैं। लोगों ने इसका जिम्मेवार कथित रूप से विद्यालय के सचिव और विभाग के निरीक्षण करने वाले पदाधिकारियों को ठहराया है।

आपको बता दें कि प्राथमिक विद्यालय कठगोलवा तिसरी प्रखंड के सूदूरवर्ती और आदिवासी इलाके में स्थित है। यहां जाने के लिए न तो पक्की सड़क है और नाही कोई पदाधिकारी यहां पहुंचते हैं। जिस कारण विद्यालय का संचालन मनमाने रूप से किया जाता है। इस विद्यालय में सचिव के अलाव एक महिला शिक्षिका है, जो भी बच्चों को पढ़ाने के लिए समय पर नहीं आती है। वहीं विद्यालय में बच्चों के आने का कोई समय नहीं होता है। सुबह सात बजे विद्यालय खुलने के बाद साढ़े नौ बजे तक बच्चे आते ही रहते हैं। विद्यालय में बच्चों के आने के बावजूद वहां पठन पाठन का कार्य नहीं चलता, बल्कि विद्यालय के सचिव द्वारा बच्चों को विद्यालय के साफ सफाई के लिए झाड़ू मारने के काम में लगाया जाता है। कहने को तो विद्यालय में विकास फंड की राशि आती है, लेकिन बावजूद विद्यालय के भवन कई जगह जर्जर होते जा रहे हैं। विद्यालय में न तो अब तक बच्चों के बीच स्कूल यूनिफॉर्म का वितरण किया गया है और ना ही बच्चों को बैग मिले है। वहीं विद्यालय के बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाने वाली पुस्तके भी जहां तहां फटे हाल में फैली पड़ी है। 

बताते चलें कि इन तमाम बातों को लेकर जब विद्यालय के सचिव मांगरा बास्के से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विकास फंड से वे विद्यालय के लिए अलमारी खरीद लिए हैं, जिसे अभी तक विद्यालय ले कर नहीं आए है। उन्होंने यूनिफार्म के बारे में बताया कि यूनिफॉर्म का ऑर्डर जिस दुकान में दिए थे, वह अब तक नहीं मंगवाया है। वहीं स्कूल बैग के बारे में उन्होंने कहा कि विभाग ने बैग लाने के बारे उन्हें कहा है लेकिन वे बैग भी अब तक नहीं लाए है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रबंधन समिति की बैठक जब तक होती थी तब तक विद्यालय में बच्चे आते थे, लेकिन इधर कुछ महीनों से प्रबंधन समिति की बैठक होनी बंद हो गई है, जिस कारण बच्चों की संख्या में कमी आई है।