गिरिडीह
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर गिरिडीह की एक महिला से आठ लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. एक सरकारी शिक्षक पर आरोप लगा है. अब जब महिला अपने पैसे वापस मांग रही है तो पिछले दो साल से आरोपी शिक्षक टाल-मटोल कर रहा है। ऐसे में अब महिला इस मामले में पुलिस-प्रशासन को आवेदन देकर आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. उक्त शिक्षक द्वारा महिला के बेटे को रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर अलग-अलग किस्तों में कुल 8.50 लाख रुपये की ठगी की गयी है.
गिरिडीह के बक्सीडीह रोड निवासी ज्योति कुमारी का पुत्र सुर्दशन कुमार हजारीबाग में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है. वर्ष 2021 में सुर्दशन की दोस्ती छोटे लाल नाम के युवक से हो गयी, जो उसके साथ हजारीबाग में रहता था. इस दौरान छोटेलाल ने सुर्दशन को बताया कि वह एक व्यक्ति को जानता है जो रेलवे में नौकरी दिलाने का काम करता है। इसके बाद छोटेलाल ने सुदर्शन की मुलाकात हजारीबाग के कल्हाबाद-बरकट्टा के रहने वाले सरकारी शिक्षक बीरेंद्र ठाकुर से करायी.
बीरेंद्र गिरिडीह के जमुआ प्रखंड में सरकारी शिक्षक हैं और गिरिडीह में किराये का मकान लेकर रहते हैं. सुदर्शन से मिलने के बाद बीरेंद्र सीधे अपनी मां ज्योति अग्रवाल के घर उनसे मिलने गया और उन्हें नौकरी दिलाने का आश्वासन देकर अलग-अलग किश्तों में कुल 8.50 लाख रुपये ठग लिए।
कोविड के दौरान ली गई सारी रकम
पीड़िता ज्योति ने बताया कि पांच जनवरी 2021 को तीन लाख, 22 फरवरी को तीन लाख, एक बार 1.50 लाख और फिर एक लाख रुपये दिये गये. बताया कि एक बार बीरेंद्र उनके घर आया और दो बार उसके बेटे ने बस स्टैंड जाकर एक होटल में उसे पैसे दिये. पैसे लेने के बाद बीरेंद्र ने विश्वास का एक चेक भी दिया. इस दौरान मार्च 2022 तक नौकरी दिलाने की बात हुई और नौकरी न मिलने पर पैसे लौटाने का आश्वासन दिया।
ले गया था कोलकाता
ज्योति ने बताया कि पैसे लेने के बाद बीरेंद्र ठाकुर और छोटे लाल उनके बेटे सुदर्शन को कई बार कोलकाता ले गये और दिखावा करने के लिए अलग-अलग फॉर्म भरकर आने-जाने लगे. इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गई और वह हादसे में घायल हो गईं. एक तरफ बेटे को नौकरी नहीं मिल रही थी और दूसरी तरफ उसके सारे पैसे भी खर्च हो चुके थे.
ऐसे में अस्पताल में कुल तीन लाख रुपये का बिल आने के बाद जब उसने बीरेंद्र से पैसे की मांग की तो वह पैसे देने में आनाकानी करने लगा. इसी बीच बीरेंद्र ने कहा कि आपके बेटे का जॉब लेटर आ गया है. एक लाख रुपये जमा करने होंगे. बताया कि उसे शक हो गया और उसने पैसे देने से इंकार कर दिया। बीरेंद्र ने 10 जुलाई तक पैसे लौटाने की बात कही है.
मैं मध्यस्थ हूं, सारा पैसा राहुल को दे दिया गया है: बीरेंद्र
इस संबंध में बीरेंद्र ने बताया कि वह एक शिक्षक हैं और इसके अलावा कुछ सामाजिक कार्य भी करते हैं. बताया जा रहा है कि ज्योति ने अपने बेटे को नौकरी दिलाने के लिए जो भी पैसे लिए थे, वह सारी रकम उसने हज़ारीबाग़ के रहने वाले राहुल नाम के एक युवक को दे दी है. राहुल ने ही नौकरी दिलाने की बात कही थी। कहा कि इस मामले में वह राहुल से भी बात कर रहे हैं। उन्हें 10 जुलाई तक पैसे लौटाने को कहा गया है. कहा कि उन्होंने किसी के साथ धोखाधड़ी नहीं की है.