Bokaro: नावाडीह के सीआरपीएफ जवान की दुर्गापुर में हुई मौत, गांव शव पहुंचते ही माहौल हुआ गमगीन


बोकारो

झारखंड के बोकारो जिले के नवाडीह प्रखंड के दहियारी पंचायत अंतर्गत न्यू दहियारी गांव निवासी सीआरपीएफ के जवान शमीम अख्तर (35 वर्ष) की पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित सीआरपीएफ अस्पताल में डेंगू के इलाज के दौरान शुक्रवार की देर रात मौत हो गयी. वह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 111 सीआरपीएफ बटालियन में कार्यरत थे। उनका तबादला झारखंड की रांची 133 बटालियन में कर दिया गया.

घर पहुंचे बोकारो सीआरपीएफ 26 बटालियन के कमांडेंट 

शमीम का शव न्यू दहियारी गांव पहुंचते ही मृतक के वृद्ध पिता जाकीर हुसैन, माता मुफीदा खातून,पत्नी तब्बसुम परवीन, भाई जावेद आलम, अनुज खालिद हुसैन, पुत्र अरहान अख्तर (7 वर्ष), अरफान अख्तर (2 वर्ष) के रोने से माहौल गमगीन हो गया. घटना की सूचना मिलते ही बोकारो सीआरपीएफ 26 बटालियन के कमांडेंट बिजेन्द्र सिंह शेखावत, विनय कुमार, नावाडीह थाना के एएसआइ श्रवण कुमार दलबल के साथ दहियारी गांव पहुंचे.

सीआरपीएफ कंपनी ने 50 हजार रुपये दिये 

अंतिम क्रियाक्रम के लिए सीआरपीएफ कंपनी की ओर से कमांडेंट ने पत्नी तबस्सुम परवीन को 50 हजार रुपये नकद दिये. वहीं, जवानों ने नम आंखों से शमीम अख्तर के शव को आखिरी सलामी दी. दोपहर की नमाज और अंतिम दर्शन के बाद पार्थिव शरीर को स्थानीय कब्रिस्तान में दफनाया गया।

आजसू नेता ने घर पहुंचकर ढांढस बंधाया 

घटना की जानकारी मिलते ही आजसू नेता फकरुद्दीन अंसारी, झामुमो के शाहिद अंसारी, कांग्रेस अध्यक्ष इमरान अंसारी, मुखिया प्रतिनिधि अमित कुमार, पंसस सरोजा देवी, पूर्व मुखिया मानस तुरी, पूर्व पंसस मेधनाथ रजवार, गंगासागर तुरी, कृष्णा नायक. सदर कमरुद्दीन अंसारी, सेक्रेटरी शाम अंसारी, मुर्तजा हुसैन, रफीक अंसारी, शाकिर अंसारी आदि पहुंचे और शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी.

कतरास स्थित ससुराल से लौटते ही उनकी तबीयत खराब हो गयी 

घटना के संबंध में मृतक जवान के छोटे भाई खालिद हुसैन ने बताया कि शमीम अख्तर ने वर्ष 2013 में सीआरपीएफ कंपनी में योगदान दिया था. शमीम का तबादला 111 बटालियन दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ से 133 बटालियन, रांची, झारखंड में हुआ था. उन्हें ब्रेक जर्नी मिल गई. वह 15 जून को छत्तीसगढ़ से दहियारी आया था. फिर 16 जून को वह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ कतरास स्थित अपने ससुराल चला गया. 20 जून को जब वह दोबारा घर लौटा तो उसे बुखार आ गया और उल्टी होने लगी।

धनबाद असर्फी अस्पताल में डेंगू का पता चला  

उसे स्थानीय डॉक्टर से दवा दिलाई गई, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ तो उसे कतरास के संजीवनी अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे असर्फी अस्पताल, धनबाद रेफर कर दिया गया. जहां डेंगू के लक्षण मिलने पर डॉक्टर ने उसे 22 जून को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर भेज दिया। जहां शुक्रवार रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।