बेंगाबाद, गिरिडीह
बेंगाबाद प्रखंड के गोलगो पंचायत में नल-जल योजना का कार्य लचर है. पंचायत के 17 पोषाहार ग्रामों में मात्र पांच स्थानों पर ही संवेदक द्वारा बोरिंग का कार्य किया गया है। दो-तीन बोरिंग में पानी नहीं है। फिर भी सेंसर ड्राई बोरिंग से पानी सप्लाई करने का दावा कर रहे हैं।
संवेदक के मुताबिक कहा जा रहा है कि सूखी बोरिंग में पानी जमा हो गया है. गोलगो पंचायत में नल-जल योजना भगवान के भरोसे है। सेंसर के इस काम को देखने वाला कोई नहीं है। जिससे सेंसर अपनी मर्जी से चल रहा है। संवेदक की इस मनमानी से ग्रामीणों में काफी रोष है। वहीं शुक्रवार को स्थानीय मुखिया अनीता कुमारी व मुखिया प्रतिनिधि महेंद्र दास ने संयुक्त रूप से नल जल योजना की समीक्षा की. मुखिया ने नियोजन कार्य में ढिलाई को देखते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कहा कि गर्मी के मौसम में पानी का संकट हो जाता है। फिर भी गोलगो पंचायत में नल जल योजना का कार्य सिफर साबित हो रहा है। उन्होंने पीएचईडी विभाग का ध्यान इस पंचायत की ओर खींचा है।
किस गांव में हुई बोरिंग और कहां निकला पानी
गोलगो पंचायत के अंतर्गत 17 राजस्व ग्राम आते हैं। नल जल योजना के तहत केवल पांच गांवों में ही बोरिंग का काम किया गया है। इसमें बाबुरायडीह, गोलगो, मदनूटांड़, बूढ़ीकुरा और भंवरडीह गांव शामिल हैं। गोलगो, बूढ़ीकुरा और भंवरडीह में बने बोरिंग में पानी नहीं निकला है। शेष 12 गांवों में बोरिंग का काम शुरू नहीं किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि आबादी के हिसाब से गांव में चार से पांच यूनिट बोरिंग का काम होने से गांव के लोगों को बेहतर पानी मिल सकता है.
लेकिन घनी आबादी वाले गांवों में भी ठिकेदार द्वारा एक से दो यूनिट बोरिंग कर के छोड़ दिया गया है। एक या दो बोरिंग से गांव के सभी घरों में पानी पहुंचाना मुश्किल साबित हो रहा है। जिससे साफ है कि नल जल योजना के सपने को साकार करने के बजाय गोलगो पंचायत में लोगों के लिए बेकार होने की आशंका जताई जा रही है. इधर, पीएचईडी विभाग के जेई ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है.