रांची
आंदोलन कर रहे मनरेगा कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग ने कड़ी चेतावनी दी है. विभाग ने सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को पत्र लिखकर कहा है कि वे काम छोड़ने के बाद आंदोलन कर रहे सभी कर्मचारियों की पहचान करें और उनका मानदेय अविलंब काटा जाए. विभाग ने पूरी रिपोर्ट भी मांगी है। दरअसल झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले मनरेगा कर्मचारियों ने बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहातू से राजभवन रांची तक मार्च किया था. अन्य सभी जिलों में भी पदयात्रा की गई।
विभाग ने मनरेगा कर्मचारियों की मांगों पर गौर किया और सभी जिला डीडीसी को पत्र लिखकर कहा कि जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, सेवा शर्तों में सुधार आदि सहित मनरेगा कर्मचारियों की मांगें विचाराधीन हैं। ऐसे में जब मामला सरकार के पास विचाराधीन है तो कर्मियों द्वारा इस तरह की हरकत को विभाग द्वारा गलत बताया जा रहा है.
मनरेगा कर्मचारी संघ भड़का, हड़ताल पर जाने की दी चेतावनी
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मनरेगा मजदूरों के प्रति सरकार का रुख सही नहीं है. विगत एक मई से तीन दिन के मार्च के बाद मनरेगा मजदूरों के हित में कोई कदम उठाने के बजाय सरकार ने पत्र जारी कर तीन दिन के मानदेय में कटौती का आदेश जारी कर दिया है, जिससे मजदूरों का असली चेहरा और मंशा साफ हो गई है. सरकार बहुत स्पष्ट हो गई है।
गौरतलब है कि संघ की ओर से 18 अप्रैल को पदयात्रा की जानकारी सरकार को दी गई थी और मनरेगा मजदूरों की समस्याओं का सरकार की ओर से बातचीत कर समाधान करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरकार की ओर से। पहल नहीं की गई होती तो पदयात्रा टल सकती थी लेकिन पदयात्रा के बाद सरकार ने बेरहम रवैया दिखाते हुए पदयात्रा में शामिल मनरेगा कर्मियों के मानदेय में कटौती का आदेश जारी कर दिया है.
सरकार का कहना है कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा आदि की मांग शासन स्तर पर विचाराधीन है और मनरेगा मजदूरों का आना-जाना किसी भी तरह से सही नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद सैकड़ों बार मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए अनुरोध किया गया, लेकिन एक बार भी मुख्यमंत्री कार्यालय से वार्ता का समय नहीं दिया गया. सरकार आंदोलन को दबाना चाहती है, लेकिन मनरेगा मजदूर डरेंगे नहीं, डटकर खड़े रहेंगे और सरकार के हर जुल्म और अत्याचार का सामना करेंगे.
पूरे प्रदेश के मनरेगा मजदूरों में इसको लेकर गहरा आक्रोश है. यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो निश्चित तौर पर मनरेगा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेसवार्ता के माध्यम से फिर सरकार से अपील की है कि यदि सरकार समस्याओं के समाधान के लिए पहल करती है तो आंदोलन को स्थगित किया जा सकता है, अन्यथा इस आंदोलन की जिम्मेदारी सरकार की होगी.