Bihar: गोपालगंज में नशा का पर्याय बना सुलेशन, कम उम्र के बच्चे भी कर रहे हैं इसका सेवन, शराबबंदी के बाद बढ़ा प्रचलन




गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्य प्रकाश

गोपालगंज जिले के विभिन्न हिस्सों में किशोरावस्था के बालक सुलेसन पीने के आदि हो रहे हैं। यह हालत उन किशोरों की है जो शराब जैसे तरल पदार्थ का सेवन करते थे, परन्तु शराब बंदी के कारण अब नशा करना मुहाल हो गया है। जिस अवस्था में किशोरों के हाथों में कापी किताब होना था, उन हाथों ने सुलेसन के साथ एक पोली बैग को थाम लिया है। शराब तो पुलिस सूंघती फिरती है, ऐसे में सुलेसन पीकर पकड़े जाने का खतरा बहुत कम है। 

सभी जानते हैं कि सुलेसन साइकिल और बाइक के साथ अन्य वाहनों के पहिए में लगे ट्यूब का पंक्चर साटने के काम आता है। पर आज यह नशा का पर्याय बन गया है, जिसका उपयोग नशेड़ी किशोर पुलिस का डर छोड़ कर बेधड़क कर रहे हैं।
पोली बैग में सुलेसन गिराकर फूंक मारते किशोर अक्सर स्टेशनों के इर्द गिर्द तो गुमटियों के पिछवाड़े दिख ही जाते हैं। सुलेसन का कहर इतना भयंकर है कि इसका सेवन करने वाले किशोरों की मानसिक स्थिति बिगाड़े बिना नहीं मानती।
  
दिघवा दुबौली रेलवे स्टेशन परिसर हो या गोपालगंज स्टेशन परिसर, ऐसे किशोर तो कहीं भी देखने को मिल ही जायेंगे।
न इन्हें मौत का डर, न पुलिस से पकड़े जाने का खौफ; सब धड़ल्ले से होता है। बता दें शराब बंदी के बाद से इसका प्रचलन कुछ ज्यादा हीं बढ़ गया है जिसे रोकना अत्यंत ही आवश्यक है। सुलेसन सेहत के लिए एक ख़तरनाक तरल है, जिसका नशे के लिए सेवन कानूनी रुप से वर्जित होना चाहिए
वरना नशेड़ियों ने नशीली शराब की जगह नशीली सुलेसन को तो अपनी नशे की खुराक बना ही दिया है