उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर एक गलियारे के निर्माण के संबंध में राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार से यह बताने को कहा है कि वह इस मसले को कैसे सुलझाना चाहती है। इससे पहले भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में मध्यस्थता के जरिए समाधान निकालने को कहा था, लेकिन सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई.
मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल से सवाल किया कि क्या उन्होंने मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाने का कोई प्रयास किया या नहीं. इस पर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं दिया है.
वहीं मंदिर के सेवादारों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि वह मंदिर परिसर के भीतर और मंदिर के प्रबंधन और फंड के अलावा किसी भी मुद्दे पर सरकार से बात करने को तैयार हैं. अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि कोर्ट में आए सेवादारों को बातचीत में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। इसके अतिरिक्त सरकार जिस भी पक्ष को उचित समझे, उससे बात कर सकती है।
सेवादार मध्यस्थता के जरिए समाधान निकालने को तैयार हैं। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा कि वह इस मुद्दे को कैसे सुलझाना चाहती है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 मई की तारीख तय की है। गौरतलब है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
इस याचिका पर राज्य सरकार ने पहले सुझाव दिया था कि मंदिर के चारों ओर एक कॉरिडोर बनाया जाए ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. लेकिन इस पर हुए खर्च को लेकर विवाद हो गया।
मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदिर एक निजी संस्था है। सरकार इसमें दखल देना चाहती है, जो उन्हें मंजूर नहीं है। मंदिर की आय में से सेवादार इस मद में कुछ भी खर्च करने को तैयार नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि बेहतर होगा कि दोनों पक्ष एक साथ बैठकर इसका समाधान निकालें।