बिहारशरीफ, नालंदा
रिपोर्ट : दीपक विश्वकर्मा
बिहारशरीफ में शुक्रवार को रामनवमी जुलूस के दौरान हुए पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ मामले में बिहारशरीफ के प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी ने लहेरी थाने में अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज कराई गई इस f.i.r. में कहीं न कहीं प्रशासन की विफलता सामने झलक रही है। हालांकि एफआईआर के बारे में पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने कुछ भी बताने से परहेज करते हुए कहा कि मामला जांच में है, वह लोग इसकी जांच कर रहे हैं।
वहीं बिहार शरीफ कोर्ट के अधिवक्ता संतोष कुमार सिंह ने प्रशासन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि 31 मार्च को जो भी उपद्रव किए गए हैं, वह बिल्कुल प्री प्लान है। प्रशासन के द्वारा अधिकांश निर्दोष लोगों के ही ऊपर एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें शासन प्रशासन की मिलीभगत की बू आ रही है। अगर प्रशासन चाहती तो इस उपद्रव को रोका जा सकता था। हिंसा मामले में अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के आवेदन पर लहेरी थाना में 31 मार्च 2023 को क्रमश: 214/23 और 215/23 प्राथमिकी दर्ज हुई है। दोनों द्वारा दिये गये आवेदन में घटना का जिक्र को लेकर जिला प्रशासन के सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। दोनों अधिकारी मजिस्ट्रेट के रूप में रामनवमी जुलूस शोभा यात्रा के दौरान दो जगह पर दल-बल के साथ तैनात थे।
बिहारशरीफ के अंचलाधिकारी धर्मेन्द्र पंडित मजिस्ट्रेट के रूप गगन दिवान मुहल्ले में तैनात थे। यहीं से हिंसा की शुरूआत हुई थी। वहीं बिहारशरीफ के प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता भी मजिस्ट्रेट के रूप में भरावपर पर तैनात थे। प्राथमिकी में दोनों हिंसा-स्थल की लहेरी थाना से दोनों विपरित दिशा की दूरी 500 मिटर लिखी गई। यहीं सवाल खड़ा हो रहा है कि प्राथमिकी के अनुसार उपद्रवी गगनदिवान में हिंसा भड़काने के बाद भरावपर की तरफ आकर मदरसा, दुकान और होटल में आग लगाने का जिक्र है। इन दोनों हिंसात्मक जगहों के ठीक बीचों बीच लहेरी थाना पड़ता है और उपद्रवी गगन दिवान से लहेरी थाना होते हुए भराव पर गये। तो क्या थाना में पुलिस बल नहीं थे, जो उपद्रवियों को थाना के सामने रोक सके। जब थाना पर ही पुलिस बल नहीं रहेंगे तो सवाल थाना की सुरक्षा को लेकर भी उठ सकता था। उपद्रवी चाहते तो थाना को भी नुकसान पहुंचा सकते थे। फिलहाल सभी बिंदुओं पर एसपी खुद जांच करने की बात कर रहे हैं।