रांची
राजनीति में शह और मात का खेल चलता रहता है। टीम को मौका मिला तो वह विरोधी टीम को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसा ही खेल सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के बीच शुरू हो गया है। कोशिश एक-दूसरे पर हावी होने के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की भी की जा रही है। यही वजह है कि भाजपा ने आगामी 11 अप्रैल को राजधानी में राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी तेज कर दी, जबकि झामुमो ने इसका जवाब देने की रणनीति बनाई है।
एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं दोनों पार्टियां
झामुमो में हेमलाल मुर्मू की वापसी इसी का एक हिस्सा है। उनकी वापसी का समारोह भी 11 अप्रैल को होगा। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन साहिबगंज के भोगनाडीह में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। मुर्मू के बाद बीजेपी के एक और कद्दावर नेता को झामुमो में लाने की तैयारी चल रही है। इसकी पृष्ठभूमि भी लगभग तैयार हो चुकी है। अगर यह कवायद चरम पर पहुंचती है तो संताल परगना में झामुमो के खिलाफ माहौल बना रही भाजपा को एक और झटका लगेगा। संताल परगना झामुमो का गढ़ है।
एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी का असर हो सकता है तेज
सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के पास संभाग की 18 विधानसभा सीटों में से 14 सीटें हैं। पार्टी नेताओं के परिवर्तन का तत्काल प्रभाव पड़ेगा। संताल परगना में बीजेपी के केंद्रीय नेताओं का पलायन लगातार जारी है. प्रदेश के वरिष्ठ नेता भी लगातार वहां डेरा डाले हुए हैं। आने वाले दिनों में एक दूसरे के खेमे में सेंधमारी तेज होने का असर राजनीतिक परिणाम पर देखने को मिल सकता है।
आंदोलन की तैयारी के साथ संगठन को धार देने में जुटी भाजपा
प्रदेश भाजपा ने 11 अप्रैल को राजधानी में प्रदर्शन के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इससे पहले प्रखंड व जिला मुख्यालय पर धरना व प्रदर्शन का कार्यक्रम हो चुका है। हेमंत सोरेन के लगभग साढ़े तीन साल के कार्यकाल में राज्यव्यापी प्रदर्शन का यह पहला मौका है। इसे सफल बनाने के लिए बीजेपी की स्टेट कोर टीम की दो बैठकें हो चुकी हैं। इसके साथ ही पार्टी बूथ सशक्तिकरण अभियान में जुटी है ताकि चुनाव में बेहतर परिणाम आए। महत्वपूर्ण बैठकों में पदाधिकारियों व जिलों के प्रभारियों से भी पूरी जानकारी ली जा रही है ताकि आने वाले समय में विरोधी दल के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके।