Giridih: पैसे के अभाव में तिसरी के एक गरीब मजदूर की चली गई जान, परिजनों के पास शव को वापस लाने तक के नहीं थे पैसे




तिसरी, गिरिडीह
रिपोर्ट : पिंटू कुमार

तिसरी प्रखंड के नैयाडीह निवासी रूपन भुला का 30 वर्षीय पुत्र की मौत इलाज के क्रम में ले जाते वक्त हो गई। स्थिति इतनी दयनीय थी कि इलाज तो दूर शव को वापस लाने के लिए भी परिजनों के पास पैसे नहीं थे।

*क्या है मामला*

तिसरी थाना क्षेत्र निवासी छोटवा भुला बिहार के पटना शहर में दैनिक मजदूरी का कार्य करता था। एक सप्ताह पूर्व उसका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया, जिसके बाद लगभग 3 दिन पूर्व वह अपना घर नैयाडिह लौटा। जिसके पश्चात किसी झोलाछाप डाक्टर के पास वह अपना इलाज करवाने पहुंचा किंतु स्थिति गंभीर हो गई। जिसके पश्चात बुधवार की सुबह उसकी पत्नी उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिसरी पहुंची। जहां उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए डाक्टर ने गिरिडीह रेफर कर दिया। 

*इलाज के लिए ले जाने के समय नही थे पैसे*

बता दें चिकित्सकों द्वारा मजदूर को रेफर करने के बाद उसकी पत्नी पैसे के अभाव में उसे गिरिडीह नहीं ले जा पाई। जिसके बाद दोपहर में मजदूर का स्थिति और बिगड़ गया। पति की बिगड़ी स्थिति को देख कर पुनः पत्नी उसे तिसरी अस्पताल ले कर पहुंची। जिसके बाद चिकित्सकों द्वारा तुरंत गिरिडीह ले जाने को कहा गया। जिसके पश्चात 108 की मदद से उसे गिरिडीह ले जाया जाने लगा। इसी बीच रास्ते में मजदूर की मौत हो गई। 

*शव वापस लाने के लिए भी नही थे पैसे*

बता दें, पति के मौत हो जाने की आशंका में जमुआ अस्पताल में 108 कर्मियों ने चिकित्सकों को दिखाया, जहां चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। जिसके पश्चात 108कर्मियों ने शव को वापस लाने से मना कर दिया। शव वापस नहीं लाने पर महिला परेशान हो गई और इधर उधर मदद की मांग करने लगी।

*जनप्रतिनिधियों के मदद से लाया गया शव वापस*

इधर, मजदूर की मौत और उसके परिजनों के पास पैसे नहीं होने के कारण शव को वापस नही लाने जाने की बात पता चलने पर थाना संसद प्रतिनिधी सुनील साव व चंदौरी मंडल अध्यक्ष रविन्द्र पंडित ने उनकी मदद की। साथ ही अपने निजी खर्च से शव को मृतक के निवास स्थान नैयाडीह वापस लाया गया।