गावां, गिरिडीह
गावां प्रखंड स्थित +2कन्या उच्च विद्यालय परीक्षा केंद्र में 8 वीं के परीक्षार्थियों को मध्यान भोजन नहीं दिया गया था। जिस कारण कुछ परिक्षार्थी समोसा आदि जैसे हल्के फुल्के नाश्ते से अपना काम चला लिए थे, वहीं अधिकांश परीक्षार्थियों को भूखे पेट परीक्षा देने को विवश होना पड़ा था। जबकि विभाग द्वारा सख्त निर्देश देते हुए चिट्ठी निकली गई थी कि सभी परीक्षार्थियों को मध्यान भोजन देना है।
बता दें कि विभाग द्वारा निकाली गई इस चिट्ठी को ना सिर्फ परिक्षा केंद्र के शिक्षकों ने हवा में उड़ा दिया बल्कि विभाग भी इसमें खानूपूर्ति करने में जुट गई है। जानकारी के मुताबिक परीक्षा केंद्र में न तो शिक्षकों ने इसकी जानकारी परीक्षार्थियों को दी और ना ही परीक्षार्थियों के लिये प्रयाप्त मात्रा में मध्यान भोजन बनाया गया था। जिससे साफ प्रतित होता है कि शिक्षकों द्वारा मध्यान भोजन के नाम पर राशि व सामग्री चपत करने की यह पूर्व नियोजित योजना है।
बात दें कि परीक्षा केंद्र +2 कन्या उच्च विद्यालय के परीक्षार्थियों के लिए मध्यान भोजन का इंतजाम मध्य विद्यालय गावां में किया गया था। परीक्षार्थियों की अनुमानित संख्या लगभग 500 थी। वहीं मध्य भोजन सैकड़ों बच्चों के लिए भी प्रायप्त मात्रा में नही बनाया गया था। जिस कारण परीक्षार्थियों को भी मध्यान भोजन की जानकारी नहीं दी गई और उनके नाम पर मध्यान भोजन की सामग्री व राशि का गबन कर लिया गया।
इस संबंध में जब बीपीओ गंगाधर पांडेय से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय के प्राचार्य से स्पष्टीकरण का मांग किया जा रहा है। वहीं बीइईओ तीतु लाल मंडल ने कह कि स्पष्टीकरण का मांग किया गया है किंतु उन्हे अब तक कोई जवाब पराप्त नहीं हुआ है। हालांकि उच्च विद्यालय डीईओ के कार्य क्षेत्र में आता है फिर भी वह अपनी ओर से लगे हुए हैं।
वहीं इस संबंध में जब डीईईओ नीलम टोप्पो से संपर्क किया गया तो उन्होंने सर्वप्रथम मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही, इसके तत्पश्चात उन्होंने कहा कि मध्यान भोजन ka इंतजाम मध्य विद्यालय में किया जाना था और इसकी सारी जिम्मेवारी बीईईओ की है। अगर इस प्रकार की गड़बड़ियां हुई है तो वह अपने ओर से पूरे मामले की जांच कर कारवाही करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों को भूखे पेट परीक्षा देना बिलकुल गलत है, जो भी इसके जिम्मेवार होंगे उन्हे बक्शा नहीं जायेगा।
बता दें यह प्रखंड के मात्र एक परीक्षा केंद्र का मामला है, अन्य परीक्षा केंद्र में क्या हुई है इसकी प्रयाप्त जानकारी नही मिल पाई है। वहीं अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा जान बूझ कर मध्यान भोजन की जानकारी परीक्षार्थियों को नहीं दी गई है जिससे वह मध्यान भोजन के नाम पर घोटाला कर अपनी जेब भर सकें। कइयों के बीच चर्चा है कि अगर सभी परीक्षाकेंद्रों मे मध्यान भोजन की जांच की जाए तो कई गड़बड़ियां मिल सकती हैं।
बताते चलें कि मामले के तीन दिन बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा अब तक मामले का पूर्ण जांच नही कर पाना व मांगे गए स्पष्टीकरण का अब तक नही मिलना खुद विभाग पर कई सवाल खड़े करता है। क्या विभाग खुद इस मामले के कोताही बरत रहा है या फिर विभाग के अधिकारियों का भी इसमें कोई योगदान है? लोगों के मन में ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे है। बहरहाल बात जो भी हो पूरे मामले का खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा।