गिरिडीह
गिरिडीह के स्थानीय लेखक आचार्य डॉ गौरीशंकर उपाध्याय द्वारा लिखित साहित्य "लघुयत्री" का प्रकाशन हो चुका है। साहित्य प्रेमियों के लिए इस पुस्तक में कई रोचक बातें पढ़ने को मिलेंगी। यह पुस्तक ऑनलाइन अमेज़न किंडल, गूगल प्ले, गूगल बुक्स के माध्यम से भी ईबुक खरीदा जा सकता है।
पुस्तक बाज़ूका प्रकाशन द्वारा इस साहित्य को 30 जनवरी 2023 को हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है।
जानिए क्या है खास
कालिदास सुकुमार शैली के प्रख्यात कवि हैं। उनकी कृतियों का मूल्यांकन भारत ही नहीं, भारत के बाहर भी होता है। इनकी तीन कृतियाँ ''लघुत्रयी'' के नाम से संस्कृत जगत् में विख्यात है। रघुवंशम् एवं कुमार-संभवम् दो महाकाव्य तथा मेघदूतम् खण्ड काव्य। इन तिकड़ी के समवेत् रूप में कुछ विशिष्ट लेखकों से अलंकृत हैं। एक शैली में रचित एक ही कवि की तीन रचनाएँ शास्त्रज्ञ वैशिष्ठ्य के अतिरिक्त कवियों की प्रतिभा का विषय निदर्शक है। अगर यह कहा जाए कि काव्य शास्त्रियों ने काव्यांग-स्थिरीकरण में कालिदास की इन कृतियों को हीं आधार बनाया है, तो कोई अतिसक्रियता नहीं होगी। ''प्रथम-अध्याय'' में कालिदास का परिचयात्मक विवरण दिया गया है। लघुत्रयी से संबद्ध अभिभाषकों को भी अनुक्रम दिया गया है क्योकि संस्कृत साहित्य में ''लधुत्रयी'' का एक विशेष महत्व है।
20 मार्च को किया गया था विमोचन
विगत हो कि गिरिडीह के श्याम भवन में जोहार कलमकार मंच, झारखंड परिचय गाथा का प्रथम साहित्य सम्मेलन और कलमकार सम्मान समारोह 19 व 20 मार्च को आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अथिति बुद्धिनाथ मिश्र, विशिष्ट अथिति गिरिडीह उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा, प्रो राम मोहन पाठक, उद्योगपति गुणवंत सिंह मोंगिया आदि द्वारा किया गया था। कार्यक्रम के दौरान मणि माणिक्य के साथ साथ इस साहित्य का भी विमोचन किया गया था।