गावां, गिरिडीह
गावां प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में चल रहे मनरेगा के तहत योजनाओं में भारी गड़बड़झाला है। पूरे प्रखंड में 300 कार्यों में मस्टर रोल जारी किया गया है जिसमे मजदूरों की संख्या 3020 है। अगर बात करें वास्तविकता की तो इनमे से अधिकांश योजनाओं में मजदूर कार्य नहीं कर रहे हैं। ऐसी कई योजनाएं प्रखंड में देखने को हमेशा मिलती रहती है जहां योजना स्थल पर कार्य के दौरान बोर्ड लगाया नही जाता है। बाद में जब योजनाएं पूर्ण हो जाती हैं तब स्थल पर बोर्ड लगाया जाता है। इससे योजनाएं की जानकारी नहीं मिलती है।
ऐसे ही एक योजना की बात करे तो गावां के धनैता में देखने को मिली है जहां ना तो बोर्ड लगाया गया है और ना ही मजदूर काम कर रहे हैं। हालांकि ये बात बिलकुल अलग है कि वहां जेसीबी मशीन की टायर एवं उनके दांत देखने को मिले हैं। हालांकि यह योजना कोन सी इसका स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सका किंतु बनावट को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि जरूर यहां तालाब या ढोभा का निर्माण कराया जा रहा है।
बता दें कि प्रखंड में मनरेगा के नाम पर लूट होना कोई नई बात नहीं है लेकिन अधिकारी के बार बार मनाही के बावजूद मजदूरों के बिना जेसीबी मशीन से कार्य होना अधिकारियों को भी हैरत में डाल देता है। वैसे भी बेचारे अधिकारी करे भी तो क्या करे हर दिन तो वह जाकर योजनाओं में मजदूरों की उपस्थिति तो नही देख सकते। हालांकि योजनाओं में मजदूरों का न होना और जेसीबी मशीन से कार्य होने का एक वजह सरकार भी है। क्योंकि वर्तमान में मनरेगा मजदूरों को सरकार द्वारा 237 रुपए प्रतिदिन का भुगतान किया जा रहा है जबकि वास्तविक में इतने कम दर में कोई भी मजदूर कार्य नहीं करना चाहते हैं। हालांकि इस पर मनरेगा ठेकेदार कई बार मजदूरों को दरियादिली दिखाते हैं और वे जेसीबी मशीन के दाग को मिटाने के लिए या फिर कहे ड्रेसिंग के लिए मजदूरों को 300 से लेकर 350 की हाजरी भी देते हैं।
अगर बात करें कि मनरेगा में गड़बड़झाला को रोकने की तो सरकार द्वारा मनरेगा में कई कर्मियों से लेकर अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। किंतु संवेदना यह है कि ग्राम रोजगार सेवक का वेतन इतना कम है कि अगर वे सभी योजनाओं की प्रतिदिन जांच करे तो उनका सारा वेतन आने जाने में खर्च हो जाएगा। वहीं अगर पंचायत सचिव और मुखिया की बात करें तो उन्हें मनरेगा के अलावे भी बहुत कार्य करने होते हैं तो ऐसे श्रीमान सारा ध्यान मनरेगा में कहां से दे पाएंगे। हालांकि सरकार ने इसका भी एक हल निकालते हुए सोशल ऑडिट टीम द्वारा जांच कराते रहती है मगर हमारे ठेकेदार भी कम चालाक नही है वे उन्हें भी अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दरियादिली दिखाते हुए दे देते हैं। जिससे किन्ही के खिलाफ जल्दी कुछ नही मिलता है।