तिसरी, गिरिडीह
रिपोर्ट : पिंटू कुमार
तिसरी प्रखंड के असुरहड्डी के जंगल में इन दिनों बैरल पत्थर और ढीबरा का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। यहां कई छोटी बड़ी सुरंगों में प्रतिदिन दर्जनों से अधिक मजदूरों द्वारा जान जोखिम में डाल कर खनन किया जा रहा है। वहीं कई महिलाएं व नाबालिक बच्चे भी बैरल पत्थर व ढीबरा को चुनने के लिए इन सुरंगों के इर्द गिर्द घूमते रहते हैं जिससे भविष्य में कोई अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि असुरहड्डी जंगल तिसरी मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है जो लोकाय थाना होते हुए जाना पड़ता है। लोकाई थाना से असुरहडी जंगल की दूरी महज 8 किलोमीटर की है। सैकड़ों लोगों द्वारा जंगल के हरे भरे पेड़ को काट कर मैदान नुमा बना दिया गया है। रात के अंधेरे में सुरंग में बिना जान की परवाह किए बगैर करीबन 200 मीटर अंदर चला जाता है और रात भर धड़ल्ले से बैरल पत्थर निकाल कर किसी सेफ जगह रख दिया जाता है। जहां से कई व्यापारी इन मजदूरों से कम कीमतों में इसकी खरीदारी कर अपने साथ ले जाते हैं।
लोगों के बीच चर्चाओं के मुताबिक माने तो इस धंधे में कई नामचीन लोगों के नाम शामिल है। ये व्यापारी सप्ताह में एक दिन करोड़ों रुपए के पत्थरों को कोड़ी के भाव खरीद कर अपने साथ बोलोरो गाड़ी से जंगल के रास्ते से गांवा के जंगलों से होते हुए तिलैया और राजस्थान ले जाते है। कुछ पैसा समूह द्वारा किसी खास व्यापारी के पास जमा रहता है जो किसी तरह घटना या सेटिंग के लिए काम आता है।
नाम नही छापने के सर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि कभी कभी बालस्टिंग भी करता है जिससे हमलोग डर जाते है । हालांकि वन विभाग के द्वारा बीच बीच में कारवाई करतें है और कारवाई के दूसरे दिन पुनः चालू हो जाता है, जिससे यह कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति साबित होती है।सबसे मजे की की बात यह है की कारवाई होने के पहले ही माफिया को ये पता चल जाता है की कारवाई होने वाला है।अब ऐसे में सवाल उठता है की लोकाई थाना से महज 8 किलोमीटर दूर धड़ल्ले से काम चालू है फिर भी न ही वन विभाग को जानकारी है न ही लोकाई पुलिस को जिससे उनके स्थिति पर कई सवाल खड़े होते हैं।