गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्यप्रकाश
गोपालगंज जिले में नौकरशाही की बल्ले-बल्ले है. स्कूली बच्चे की शिक्षा दीक्षा चौपट भले हो, उन्हें अपना फरमान साबित करने से मतलब है. ऐसा ही कुछ गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखंड में प्राथमिक विद्यालय दिघवा दुबौली बाजार में देखने को मिला है। बता दें यह बहुत ही पुराना प्राथमिक विद्यालय है. इस विद्यालय के पोषक इलाके में बहुतेरे पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के बच्चे पढ़ते थे.
ससमय बच्चे स्कूल में आते है, पठन पाठन का काम होता है.
विद्यालय में बच्चों को पोषाहार भी मिलता है तथा स्थानीय अभिभावक बच्चों को नियमित स्कूल भेजते रहते है. वहीं इसके विपरित महिला प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी तो कहीं जातीं नहीं और न हीं स्कूल की स्थिति का मुआयना हीं करती हैं.
बताते चलें दिघवा दुबौली बाजार प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नीतू कुमारी द्वारा प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को सूचित किया गया कि स्कूल का भवन चू रहा है तथा अभिलेख पानी में खराब हो रहे हैं. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी आशा कुमारी ने बिना स्कूल का मुआयना किए नियमों को ताक पर रखकर इस स्कूल को ढाई किलो मीटर दूर लालापटी बिजुलपुर प्राथमिक विद्यालय को टैग कर दिया.
नियमानुसार प्राथमिक विद्यालय को एक किलोमीटर की परिधि में, मध्य विद्यालय को तीन किलोमीटर की परिधि और उच्च विद्यालय को पांच किलोमीटर की परिधि के अन्तर्गत ही टैग किया जाना है जिसके विपरीत प्राथमिक विद्यालय दिघवा दुबौली बाजार को ढाई किलो मीटर की दूरी में टैग किया गया है. जिस कारण शिक्षक तो अपनी अपनी बाइक से वहां चले जाते हैं पर दो साल, तीन साल और चार साल के बच्चे वहां जाने से वंचित हैं. अभिभावक भी दूरी के कारण अब बच्चों को टैग वाले विद्यालय में नहीं भेजते.
इसकी जानकारी और समाधान के लिए प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी आशा कुमारी को उनके नम्बर पर फोन किया गया लेकिन अनेक बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. बताया गया कि यहां तो कुछ खबरी दूतों के इशारे पर सारा काम चलता है. झूठ का सच और सच का झूठ होता है. इसके मिशाल हैं. इसी का प्रतिफल है कि भरे पूरे दिघवा दुबौली बाजार के इस प्राथमिक विद्यालय को इस अधिकारी ने वीरान बना दिया है और जहां टैग किया है वहां बच्चे दूरी के कारण नहीं जा पा रहे हैं. जानबूझकर इन नौनिहालों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है और आज यह स्कूल और स्कूल का भवन उदास पड़ा है.