नालंदा, बिहार
रिपोर्ट : दीपक विश्वकर्मा
नालंदा कॉलेज के भूगोल विभाग एवं आईक्यूएसी ने शनिवार को प्राकृतिक आपदा एवं सतत विकास विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में द जिओइकोलॉजिस्ट ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के कोफाउंडर डॉ कृष्णानन्द ने छात्रों के साथ बातचीत करते हुए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें इसके बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि उपलब्ध संसाधन पर ज्यादा बोझ ही प्राकृतिक आपदा का कारण बन जाता है जिससे जान माल की भारी क्षति होती है। उनके अनुसार सतत विकास के लिये आपदा जोखिम प्रबन्धन को महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आपदाओं के कारण होने वाला नुकसान लगातार बढ़ता जाता है, इसके बावजूद कि इस नुकसान को कम करने के लिये बहुत अधिक उपाय किये जाते हैं।
प्राचार्य डॉ राम कृष्ण परमहंस ने इस अवसर पर कहा कि बढ़ती आपदाएँ दुनिया भर में चिंता का मुद्दा बन गई हैं, चाहे वे प्राकृतिक खतरे हों या मानवीय कारक। दुनिया भर में हाल के वर्षों में विविध वातावरणों में रहने वाली बड़ी आबादी को खतरे में डालने वाली आपदाओं की आवृत्ति और साथ ही परिमाण में वृद्धि हो रही है। इन आपदाओं का सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों के माध्यम से सतत विकास पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
भूगोल विभाग की अध्यक्ष डॉ भावना ने कहा कि बीते वर्षों में आपदा प्रबन्धन के तौर तरीकों में काफी बदलाव हुए हैं। यह घटनाओं के प्रबन्धन से आगे बढ़कर जोखिम के प्रबंधन में बदल चुका है। जोखिम प्रबंधन का अर्थ है अन्तर्निहित खतरों और कमजोरियों- चाहे वे प्राकृतिक हों अथवा मानवजनित, का वैज्ञानिक दृष्टि से मूल्यांकन किया जाए और उन्हें शुरुआत में ही विकसित होने से रोका जाए।
आईक्यूएसी के समन्वयक डॉ बिनीत लाल ने कहा कि पर्यावरण और विकास के वाद विवाद में सतत विकास मॉडल ही अब दुनिया अपना रही है और भारत में भी पिछले कई सालों से भविष्य की पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए सतत विकास का मॉडल अपनाया गया है। भारत प्राकृतिक आपदा को सीमित करने एवं प्रभाव को कम करने के लिए भी पिछले कुछ सालों में कई सारे उपाय किया है।
परिचर्चा में शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ मंजु कुमारी, सचिव डॉ रत्नेश अमन, डॉ सुमित कुमार, डॉ श्रवण कुमार, डॉ उपेन मंडल, डॉ संजीत कुमार, डॉ इकबाल, डॉ रामानुज चौधरी एवं 150 से ज्यादा छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे। परिचर्चा के अंत में छात्रों ने कई सवाल भी पूछे। कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग के शिक्षक डॉ अनिल अकेला ने किया तो वहीं प्रीति रानी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।