नयी दिल्ली
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार राज्य की पिछली बोम्मई सरकार द्वारा लाए गए कानून, गौहत्या और मवेशी संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2020 में संशोधन पर विचार कर रही है। कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान मंत्री के वेंकटेश का एक बयान भी इसी तरफ इशारा कर रहा है. कानून में संशोधन को किसानों के हित में बताते हुए वेंकटेश ने कहा कि अगर भैंसें काटी जा सकती हैं तो गायों की क्यों नहीं?
टीओआई के रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के पशुपालन मंत्री ने यह कहकर अपने तर्क को सही ठहराने की कोशिश की कि किसानों को बूढ़े मवेशियों को रखने और मृत्यु के बाद उनके शवों को निपटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए दावा किया कि हाल ही में उन्हें अपने फार्म हाउस में मृत गाय के शव को ठिकाने लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
पालतू जानवरों को लेकर कानून में संशोधन और फिर विधेयक वापस लेने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है। बीएस येदियुरप्पा की पिछली बीजेपी सरकार ने 1964 के एक्ट में संशोधन करते हुए साल 2010 और 2012 में गाय बिल पेश किया था. हालांकि इसके बाद जब राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो उसने बिल वापस ले लिया। इसके बाद बोम्मई सरकार आई, उसने फिर से संशोधन किया और अब कानून को फिर से पलटने की चर्चा चल रही है.
कर्नाटक में जानवरों को लेकर कानून में संशोधन और फिर बिल वापस लेने का सिलसिला कोई नया नहीं है. बीएस येदियुरप्पा की पिछली बीजेपी सरकार ने 1964 के एक्ट में संशोधन करते हुए साल 2010 और 2012 में गाय बिल पेश किया था. हालांकि इसके बाद जब राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो उसने बिल वापस ले लिया। इसके बाद बोम्मई सरकार आई, उसने फिर से संशोधन किया और अब कानून को फिर से पलटने की चर्चा चल रही है.
मंत्री ने 1964 के कानून का हवाला दिया
उन्होंने 1964 के अधिनियम का हवाला दिया जो बैल और भैंसों के वध की अनुमति देता है, जबकि नया कानून गायों, बछड़ों और सभी उम्र के सांडों और 13 साल से कम उम्र के भैंसों के वध पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि जब कानून बैलों और भैंसों के काटने की अनुमति देता है तो गायों को क्यों नहीं काटा जा सकता।
गौरतलब है कि बोम्मई सरकार ने फरवरी 2021 में विधानसभा में भारी हंगामे के बीच कर्नाटक गोहत्या रोकथाम और मवेशी संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनि मत से पारित कर दिया था. विपक्षी दलों ने बिल का विरोध किया और सदन में बिल की प्रतियां फाड़ते भी देखे गए।
सिद्धारमैया सरकार जल्द ही अध्यादेश ला सकती है
अब जब सरकार बदली है तो इस कानून को वापस लेने की चर्चा तेज हो गई है. कर्नाटक के राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नई सिद्धारमैया सरकार जल्द ही इसे वापस लेने के लिए अध्यादेश ला सकती है। कर्नाटक के पशुपालन मंत्री का यह बयान इस ओर भी इशारा कर रहा है कि नई सरकार जल्द ही इस संबंध में कुछ कदम उठा सकती है.