Jharkhand: भूत-प्रेत से बचने के लिए गुमला के बसुवा गांव में 30 साल बाद लंडी जतरा का आयोजन, बड़ी रोचक है परंपरा


गुमला

झारखंड के गुमला जिले के बसुवा गांव में 30 साल बाद भूत-प्रेतों से बचाने के लिए लंडी जतरा (कोढ़) का आयोजन किया गया. 30 साल पहले लंडी जतरा निकालने की परंपरा किन्हीं कारणों से बंद हो गई थी। इसके बाद गांव में कई अप्रिय घटनाएं हो चुकी हैं।

गांव में 30 साल बाद लंडी जतरा का आयोजन हुआ 

इधर, इन अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए गांव में फिर से लंडी जतरा की परंपरा शुरू की गई। 30 साल बाद ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों की पहल पर गांव में लांडी जात्रा का आयोजन किया गया। जहां बसुवा पंचायत क्षेत्र के हजारों लोगों ने शामिल होकर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की। साथ ही पूर्वजों की परंपरा के अनुसार नाच-गाना भी किया।

हर साल होगी अब लंडी जतरा 

लंडी जतरा में बसुवा पंचायत क्षेत्र के कई खोड़ा दल शामिल हुए। मंदार की थाप पर नाचे और गाए। इसके साथ ही प्राचीन परंपरा को जीवित रखने और प्रतिवर्ष लांडी जात्रा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। विधायक प्रतिनिधि करण पन्ना ने कहा कि हम सभी को अपनी संस्कृति को बचाने की जरूरत है। इस तरह जात्रा आयोजित करने से हमारे बच्चे अपनी संस्कृति को जानेंगे। इसे आगे बढ़ाएंगे। गांव में सुख-शांति बनी रहेगी।


लंडी का मतलब उरांव भाषा में होता है कोढिया 

बसुवा की ग्राम प्रधान गौरी उरांव ने कहा कि करीब 30 साल बाद गांव में लंडी जात्रा हो रही है. उरांव भाषा में लंडी का अर्थ कोधिया होता है। पहले हमारे पूर्वज जात्रा के लिए गाने और नाचने के लिए दूसरे गांवों में जाते थे। उस दौरान भारी बारिश के कारण गांव की बाकी नदी पूरी तरह भर गई थी। जिसके कारण वह दूसरे गांव नहीं जा सका। जिसके बाद हमारे पुरखों ने गांव के ही लंडी नाम की शिला में जतरा का आयोजन शुरू किया। तभी से इस जतरा का नाम बदलकर लंडी कर दिया गया।