गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्य प्रकाश
गोपालगंज जिले में कुछ दिन पहले तक पत्रकारों के साथ जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ प्रत्येक माह के अंतिम सप्ताह में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया जाता था। आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तमाम विभागों के पदाधिकारी मौजूद होते थे तथा प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों को हस्तक उपलब्ध कराया जाता था, जिसमें विभागों की उपलब्धियां वर्णित होती थीं।
आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक संबोधित करते थे। जिले का सूचना और जनसंपर्क विभाग काफी सक्रिय होता था तथा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस की सारी जिम्मेदारी जनसंपर्क विभाग की होती थी। इस दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों द्वारा जिले की समस्याओं से जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया जाता था और उसपर जिला प्रशासन की ओर से संज्ञान भी लिया जाता था। क्योंकि अगले माह आयोजित होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसका उत्तर देना होता था।
प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के बीच भी एक तारतम्य स्थापित होता था, पर वह सब कुछ एक सपना की तरह लगता है। प्रत्येक माह के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर वर्षों से विराम लग गया है।
अब तो जब जरूरत महसूस होती है, जनसंपर्क विभाग से कुछ गिने चुने प्रेस प्रतिनिधियों को बुलावा मिल जाता है और प्रेस कॉन्फ्रेंस हो जाता है। जिस दिन पुलिस शराब पकड़ लेती, अपराधी पकड़ लेती है बस उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की औपचारिकताएं पूरी हो जाती हैं। गोपालगंज में बुद्धिजीवियों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि प्रशासन पत्रकारों के साथ विधिवत मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं कर पाता?