Bihar: गोपालगंज में एक नयी परंपरा, जिसमें ट्रक वालों से हाथ मिलाती है पुलिस


गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्य प्रकाश

गोपालगंज जिले में एनएच 27, एनएच 101 और एसएच 90 तीन बड़ी सड़कें गुजरती हैं। एसएच 90 पर तो ट्रकों का रेला लगा रहता है। एक साथ सौ सौ ट्रकों का काफिला एसएच 90 पर हीं दिख रहा होता है और इन ट्रकों पर केवल बालू ही बालू लदा रहता है। बालू लदे ट्रक महमदपुर ओवर ब्रिज के पश्चिमी किनारे कतारबद्ध भी लगे रहते हैं।

यह नजारा सुबह से रात तक देखने को मिलेगा और ये बालू लदे ट्रक यूपी, चंपारण, मुजफ्फरपुर तक जाते हैं। जिस तरह इन सड़कों पर ट्रकों का नजारा होता है, ठीक वैसे ही सीमा रेखा के इर्द-गिर्द सड़क के किनारे पुलिस की जीप खड़ी होती है। सादे लिबास में पुलिस का आदमी पुलिस जीप के पास खड़ा रहता है।

जैसे हीं बालू लदे ट्रक दिखते हैं वह सादे लिबास वाला पुलिस जीप के पास खड़ा व्यक्ति ट्रक को हाथ देता है और ट्रक चालक ट्रक रोककर उस सादे लिबास वाले जनाब से हाथ निकाल हाथ मिला लेता है और ट्रक आगे बढ जाता है। इतना ही कहना काफी है ट्रक चालक और पुलिस के हाथ मिलाने की परंपरा के बारे में कि अनेकों बार फोटो और वीडियो वायरल हुए, अब परंपरा पुरानी हो चली है।
 
गोपालगंज जिले में एस एच 90 के किनारे दिघवागढ के पूरब एक लाइन होटल के समीप, राजापटी बाजार के पूरब फैक्ट्री के समीप, खैरा गांव के समीप, बहदुरा गांव के समीप, महमदपुर पुरानी बाजार के समीप, महमदपुर ओवर ब्रिज के पूर्वी किनारे एक लाइन होटल के समीप पुलिस की रोड के किनारे खड़ी जीप और हाथ मिलाने वाला वहां खड़ा पुलिस वाला जरूर नजर आयेगा। एक उगाही के अड्डे पर चौबीस घंटे में लाखों की उगाही होती है।
 
जानकार बताते हैं कि उगाही का आधा माल थानेदार को और आधा में सभी बांट लेते हैं। ऐसी उगाही में कईयो की जान भी चली गयी है, लेकिन मामले पर यह कहकर अधिकारी पर्दा डाल देते है कि पेशाब कर रोड पार करने में घटना हो गयी है।
पर यह बात इसलिए लोगों के गले नहीं उतरती क्योंकि अगर पुलिस जीप रोड के बाये है तो इधर भी पेशाब के लिए बेहिसाब जगह है और अगर पुलिस जीप रोड के किनारे दाये हाथ है तो रोड के किनारे उधर भी बेहिसाब जगह है। रोड पार करने का सवाल नहीं उठता।

अभी हाल ही में एसएच 90पर दिघवा जीन बाबा के समीप एक सिपाही जान गंवा बैठा। कहा गया वह पेशाब करने गया था, पर पुलिस गाड़ी रोड के उतरी हिस्से में खड़ी थी और पेशाब करने के लिए उधर खुली जगह थी। यहां तो बड़े पदाधिकारियों के आंखों में सरेआम धूल भी झोंका जाता है और गुमराह भी किया जाता है।