गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्यप्रकाश
गोपालगंज जिले अंतर्गत थावे प्रखंड के रामचंद्रपुर स्थित शिव मंदिर में चल रहे हनुमत प्राण प्रतिष्ठा सह रुद्र महायज्ञ में सोमवार की देर शाम श्रद्धालुओं ने भक्तिमय कथा वाचन का श्रवन किया। इस दौरान मंच पर प्रवचन कर रही कथा वाचिका सुश्री साध्वी अंजली द्विवेदी ने कहा की जब भगवान राम कुमारावस्था में हुए तो गुरु, पिता, माता उनका उपनयन संस्कार कर दिए।
शिक्षा दीक्षा लेने के लिए वह विशिष्ट मुनि के आश्रम में चले गए। जैसे ही उनकी शिक्षा दीक्षा पुरी हुई तो राजा दशरथ अपने दोनों पुत्र राम और लक्षण को बुला लिए। इधर वन में विश्वमित्र जी जन हित के लिए महायज्ञ शुरू किए। लेकिन राक्षसों ने महायज्ञ को तहस, नहस, कर दिया। उसके बाद विश्वामित्र जी ,साधु,संत, काफी चिंतित होकर मंथन करने लगे।
तब तक गुरु विश्वामित्र जी के मन में आया की राक्षसों को नाश करने के लिए भगवान श्रीराम राजा दशरथ के घर धरती पर अवतार ले चुके हैं। गुरु विश्वामित्र जी अयोध्या गए तथा राम लक्ष्मण को मांग कर लाए। जिसके पश्चात यज्ञ की पुनः शुरुआत हुई। किंतु यज्ञ होता देख राक्षस यज्ञ को तहस नहस करने के पहुंचें। भगवान राम ने सभी राक्षसों से लड़ाई करते हुए व राक्षसों का नरसंहार करते हुए धरती पर धर्म स्थापित किए।