गिरिडीह
लोगों की हिफाजत के लिए बॉर्डर पर बीएसएफ में तैनात एक जवान के स्वजन आज सुखी नदी में चुआं से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है। कारण यह है कि उनके विरोधी अत्यंत प्रबल है और प्रखंड के अंचल कार्यालय में बैठे कर्मी भ्रष्टाचार से लिप्त हैं। दोनों की सांठ गांठ और ऊपर के आला अधिकारी की खामोशी आज सेना के उस जवान के जीवन के दर्द की वजह बन गई है। उनके जेहन में यह सवाल दौड़ता है कि आखिर वह क्यों अपनी जान देकर इस मिट्टी की रक्षा करे जब उनके अपने ही विभागीय उदासीनता और विरोधियों के कारण दुःखी हैं। फिर भी वे अपनी भावनाओं को दिल में दबा कर अपना राष्ट्रीय धर्म सर्वोपरि मान देश की रक्षा में जुटे हैं।
यह मामला गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड का है। जहां बीएसएफ में जवान के पद पर कार्यरत पंकज यादव का परिवार बीते 5 वर्षों से नदी के चुआँ का पानी पीकर गुजर बसर कर रहा है। इसका कारण उनके विरोधियों द्वारा उनके घर में बोरिंग के लिए गाड़ियों को पहुंचने नही देना है। इसे लेकर उन्होंने अंचल कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के सेक्रेटरी तक को विभिन्न माध्यमों से शिकायत किए हैं। बावजूद उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है।BSF जवान के परिजन पानी के लिए भटक रहे है। बोरिंग कराने को लेकर पांच वर्षों से थाना का चक्कर काट रहे हैं।झारखंड के गिरिडीह में BSF जवान के स्वजन तिसरी थाना क्षेत्र के कुंजलपुर गांव के गौरी प्रसाद अपने घर में बोरिंग कराने को लेकर पांच वर्षों से थाना का चक्कर काट रहे हैं।
— Sohan singh (@sohansingh05) May 10, 2023
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इस संबंध में फोन के माध्यम से जानकारी देते हुए बीएसएफ जवान पंकज कुमार ने बताया कि खरखरी पंचायत के कुंजलपुर में उनके स्वजन गौरीशंकर प्रसाद यादव का घर है। घर में अब तक चापानल नहीं होने से उनके स्वजनों को पानी पीने, खाना बनाने और शौचालय जाने के लिए नदी पर आश्रित रहना पड़ता है। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में कई बार बोरिंग कर चापानल बैठाना चाहा किंतु गांव के कुछ लोगों द्वारा बोरिंग गाड़ी उनके घर तक आने नही दिया जाता है। उसे बीच में ही रोक लेते हैं। उनकी दबंगई के कारण अब कोई बोरिंग करने आना भी नही चाहता है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में अंचलाधिकारी सुनील प्रकाश द्वारा पत्र जारी कर थाना को बोरिंग गाड़ी उनके घर पहुंचाने का आदेश दिया गया था। किंतु दबंगों के कारण यह ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। जिसके बाद से अब तक उनके स्वजन कई बार अंचल कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं किंतु कोई सुनवाई नहीं हो रहा है।
साथ ही उन्होंने बताया कि वह खुद अंचलाधिकारी और एसडीएम को लिखित आवेदन भी दे चुके हैं। साथ ही ईमेल के माध्यम से एसडीएम खोरीमहुआ, उपायुक्त गिरिडीह एवं मुख्यमंत्री के सेक्रेटरी से मदद की फरियाद किए हैं। वहीं ट्विटर के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी अवगत कराने का प्रयास किए हैं किंतु उन्हे कहीं से मदद मिलना तो दूर उन्हे अब तक किन्ही का जवाब भी नहीं आया है। साथ ही उन्होंने बताया कि समस्या के निराकरण को लेकर उनके द्वारा राष्ट्रीय यादव सेना व बीस सूत्री अध्यक्ष को भी उनके स्वजनों द्वारा आवेदन दिया गया किंतु कोई जनप्रतिनिधि भी अब तक उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं कर पाए हैं। उनकी मजबूरी है कि वह अपने स्वजनों की समस्या के निराकरण के लिए अपनी ड्यूटी को छोड़कर नहीं आ पा रहे हैं।