Deoghar: गबन के मामले में एसबीआई के क्षेत्रीय अधिकारी समेत 2 दोषियों को 3 साल की सजा, लगाया गया है 6 हजार का जुर्माना


देवघर

देवघर के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी (एसडीजेएम) रश्मी अग्रवाल की अदालत ने सरकारी धन के गबन के मामले में अनिल कुमार यादव और केपी सिन्हा को दोषी पाया. साथ ही दोनों को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर छह-छह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में उसे अलग से दो माह की कैद काटनी होगी। सजा पाने वालों में मोहनपुर के तिलैया निवासी अनिल कुमार यादव पशु व्यापारी हैं, जबकि केपी सिन्हा एसबीआई, देवघर के क्षेत्रीय अधिकारी व पुरनदाहा मोहल्ले के रहने वाले हैं.

आठ सितंबर 2009 को मामला दर्ज किया गया 

देवघर जिला पशु विकास अधिकारी संजीव रंजन के आवेदन पर आठ सितंबर 2009 को मोहनपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना पूरी कर चार्जशीट दाखिल की थी। जिसके बाद मामले की सुनवाई भी शुरू हुई. इस मामले में सरकारी अधिवक्ता अजय कुमार साहा ने अभियोजन पक्ष से आठ लोगों की गवाही कराई. मुखबिर की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार राय भी थे। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता पीआर मिश्रा व एके यादव ने अपना पक्ष रखा.

1.92 लाख का गबन किया गया 

जिला गौ विकास विभाग की ओर से हितग्राहियों को दुधारू गाय उपलब्ध कराने की योजना वर्ष 2009 में शुरू की गई थी। इसमें मोहनपुर थाना क्षेत्र के झालर गांव के आधा दर्जन किसानों ने आवेदन दिया था। मवेशी व्यवसायी अनिल कुमार यादव ने गाय दिलाने के नाम पर आवेदकों से 3 हजार रुपये लिए और अपने घर में गाय की फोटो बैंक में पेश कर स्टेट बैंक के क्षेत्रीय अधिकारी केपी सिन्हा की मिलीभगत से 1.92 लाख रुपये की अनुदान राशि का गबन कर लिया था। इस तरह किसी भी लाभुक को गाय नहीं मिली और अनुदान की राशि भी वापस ले ली गयी. शिकायत करने वालों में पिंकू मंडल, बैजनाथ मंडल, रामरेखा मंडल, सुखदेव राय आदि शामिल हैं।

14 साल के संघर्ष के बाद मिला इंसाफ 

यह घटना 29 अगस्त, 2009 को हुई थी और लाभार्थियों के शिकायती आवेदन के संदर्भ में जांच की गई थी, जिसमें घटना को सही पाया गया और 8 सितंबर, 2009 को प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने 31 अक्टूबर को आरोप पत्र दायर किया। 2010. इसके बाद मामले की सुनवाई हुई और 14 साल के संघर्ष के बाद न्याय मिला।