गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्य प्रकाश
गोपालगंज जिले के महमदपुर थाना कांड संख्या 120/21 दिनांक 19/4/21धारा 302 में साक्ष्य का आभाव बता कर पुलिस ने केस को क्लोज कर दिया था। इस मामले में कांड की सुनवाई के दौरान गोपालगंज के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने अनुसंधान कर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि तमाम साक्ष्य के बावजूद केस को क्लोज कराना इनके निजी स्वार्थ को दर्शाता है।
सरेआम दिन के उजाले में धनावती देवी को अस्पताल की छत से फेंकने और उसकी मौत हो जाने के मामले को अनुसंधान कर्ता और तत्कालीन एसडीपीओ संजीव कुमार ने रफा दफा कर दिया और अंतिम प्रपत्र सौंप दिया था। अभियोजन पदाधिकारी आनंद शंकर शर्मा एवं पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता रुदल प्रसाद ने इस कांड में साक्ष्य प्रस्तुत कर हत्या में पर्याप्त साक्ष्य के बाद भी केस में अंतिम प्रपत्र समर्पित कर देने की बात कही।
जिसपर, माननीय कोर्ट ने कहा कि इस संज्ञान आदेश फलक की एक प्रति आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक कार्रवाई के लिए शीघ्र भेजें। जिससे, वह संपूर्ण मामले की जांच अपने स्तर से करके तीस दिनों के अंदर तत्कालीन एसडीपीओ एवं अनुसंधान कर्ता पर कार्रवाई सुनिश्चित करें और विधि सम्मत कार्रवाई से न्यायालय को भी अवगत कराया जाय कि किस परिस्थिति में हत्या के केस में एसडीपीओ और अनुसंधान कर्ता ने अंतिम प्रपत्र सौंपा है। साथ ही कहे कि अस्पताल में सीसीटीवी कैमरा था फिर भी पर्यवेक्षण अधिकारी ने उसे जब्त क्यों नहीं किया है?
क्या है मामला
बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के खैरा आजम गांव में 10 अप्रैल 2021को खाना बनाने के दौरान मुन्ना सहनी की पत्नी चंपा देवी जलकर जख्मी हो गयी थी। जहां सास धनावती देवी और चाचा छोटे लाल सहनी सदर अस्पताल गोपालगंज जा रहे थे। जख्मी चंपा देवी के मायके वालों ने उसे राहुल अस्पताल महमदपुर में भर्ती करा दिया था। अठारह अप्रैल को वहीं अस्पताल में मायके वालों ने ससुराल वालों को पीटा तथा जब धनावती देवी हस्तक्षेप करने गयी तो उसे छत पर से फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गयी और तब हत्या का मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र की न्यायालय से बार बार अनुसंधान कर्ता से प्रश्न किया जाता रहा और वह एक बार माफ कर देने की गुहार लगाता रहा। तत्कालीन एसडीपीओ संजीव कुमार के और भी कई राज दबे पड़े हैं।