India vs China
भारत ने अब एक ऐसा मिशन शुरू किया है जो आने वाले दिनों में चीन के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। इस मिशन की शुरुआत गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु से हो चुकी है। दरअसल, भारत सरकार अपने सेमीकंडक्टर मिशन को सफल बनाने के लिए देश की सेमीकंडक्टर कंपनियों से बातचीत कर रही है। इन कंपनियों को लुभाने के लिए कंपनियों से उन जरूरतों के बारे में पूछा जा रहा है जो सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने के लिए जरूरी हैं। वर्तमान में, ताइवान दुनिया के 90 प्रतिशत सेमीकंडक्टर्स का निर्माण करता है। कोविड की वजह से चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी अपनाई थी, जिससे सेमीकंडक्टर के निर्माण में काफी रुकावट आई और दुनिया के कई सेक्टर खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए.
शुरू हुई कंपनियों से बातचीत
जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार के अधिकारी अल्ट्रा-प्योर कॉपर, एल्युमिनियम, पानी और गैस जैसे उद्योगों से जुड़े लोगों से मिल रहे हैं। इस बैठक से उन तमाम बातों और जरूरतों को समझने की कोशिश की जा रही है, जिससे सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने में मदद मिल सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इन कंपनियों के प्रतिनिधि पहली बार फरवरी में गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में प्रस्तावित सेमीकंडक्टर इकाइयों के स्थलों का दौरा करने आए थे।
यूनिट के आसपास किस प्रकार के उद्योग की है आवश्यकता
अधिकारियों के अनुसार, इनमें से कुछ कंपनियों के अधिकारियों ने पिछले महीने फिर से इन साइटों का दौरा किया और उनके साथ केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी भी थे, जिन्होंने उनकी कुछ चिंताओं को नोट किया। अधिकारी के मुताबिक इन उद्योगों को प्रस्तावित सेमीकंडक्टर यूनिट के पास लगाने की जरूरत होगी। इनमें से कुछ कच्चे माल का परिवहन नहीं किया जा सकता क्योंकि लंबी दूरी होने के कारण इनके खराब होने का खतरा होता है। हम इन उद्योगों की सटीक आवश्यकताओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की पूरी प्रक्रिया में करीब 1,200 तरह के कच्चे माल की जरूरत होगी।
उद्योगों की इंपोर्ट से डिपेंडेंसी हटाने के लिए भारत में ही यूनिट होंगे स्थापित
एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, इन उद्योगों की आयात पर निर्भरता को दूर करने के लिए भारत में ही इकाइयां लगाने को कहा जा रहा है, ताकि चिप्स का निर्माण समय पर शुरू हो और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला किसी तरह के व्यवधान से प्रभावित न हो. वैसे अधिकारी ने यह भी बताया कि कुछ कच्चे माल ऐसे हैं जो बहुत दुर्लभ हैं, जिनके लिए आयात के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. वहीं, कुछ का निर्माण घरेलू स्तर पर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरत है।
76 हजार करोड़ के पैकेज की हुई थी घोषणा
दिसंबर 2021 में केंद्र ने भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 अरब डॉलर यानी करीब 76,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था। 2021 में घोषित योजना के मुताबिक केंद्र सरकार ने परियोजना की कुल लागत का 50 फीसदी तक पीएलआई देने की बात कही थी। जिन राज्यों में इकाइयां स्थित होंगी, वहां की सरकारें अधिक प्रोत्साहन की पेशकश कर रही हैं, कुल परियोजना लागत का लगभग 70-75 प्रतिशत सब्सिडी और पीएलआई के माध्यम से पूरा किया जाएगा। अब तक, केंद्र को चिप निर्माण के लिए तीन प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें अबू धाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स के नेतृत्व वाले इंटरनेशनल सेमीकंडक्टर कंसोर्टियम (आईएसएमसी) से एक प्रस्ताव शामिल है। अन्य दो आवेदक सिंगापुर स्थित DHTRATS वेंचर्स और वेदांत-फॉक्सकॉन हैं।