तिसरी, गिरिडीह
रिपोर्ट : पिंटू कुमार
तिसरी प्रखंड के लोकाई पंचायत अंतर्गत जमामो गांव में आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी गांव की सुरत नही बदली। आज भी लोग मूलभूत सुविधा नहीं होने के कारण वर्षों पूर्व सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में जब वहां के स्थानीय ग्रामीणों से जब उनकी समस्याओं को जाने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बताया कि पेयजल के लिए पूरा गांव पोखरी का इस्तेमाल करता है।
बता दें कि इस गांव में करीब 150 की आबादी है। यहां के लोग आधा किलोमीटर दूर से माथा में तसला डेकची के सहारे पानी लाते है। बच्चे बूढ़े जवान सभी को सुबह शाम पानी का ही चिंता बना रहता है। जिनके हाथों में किताब और कॉपी होना चाहिए उनके हाथों में नही माथा में मुसीबत ही लिखा हुआ है। कितने जनप्रतिनिधि आये, मुखिया आया लेकिन न उन लोगों का तकदीर कोई बदल न सका किंतु उस गांव की मुखिया और जनप्रतिनिधि का तकदीर जरूर बदल गया है। क्योंकि यंहां के भोले भाले दलित परिवार उनपर भरोसा कर के वोट जो दिया है।
गांव के नन्हे मुन्हे दुलारी कुमारी और अंजली कुमारी जो कि 5वां क्लास की विद्यार्थी है, बताई कि हमलोग प्रत्येक दिन सुबह शाम को इसी तरह पहले पानी लातें है जिसके बाद स्कूल पढने जातें है। गांव के फुलवा देवी और गौरी देवी ने बताई की वहलोग डोमा हीर से चुआं नुमा आकार का पत्थर से चारो तरफ से खुद ग्रमीणों के सहयोग से बांध कर इसी दांडी से पानी ले जातें है। जबकि बरसात के दिनों में बरसाती पानी से भर जाता है तो उसी पानी को छान कर पीते है। इसकी शिकायत कई बार मुखिया से कियें लेकिन उनके कानों मे जूं तक नही रेंगा।