सत्य से बड़ा धर्म नहीं, असत्य से बड़ा पाप नहीं: पायल



बिरनी, गिरिडीह
रिपोर्ट : कृष्णा वर्मा (72964912460)

बिरनी प्रखण्ड के जुरपा-गौंगरा में चल रही नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस महायज्ञ सह हनुमन्त प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन वृंदावन से पधारी बाल विदुषी पायल ने बताया कि सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं है और असत्य से बड़ा कोई पाप नहीं है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में सत्य को धारण करना चाहिए। सत्य को जीवन में धारण करने के लिए हमें संतों का सानिध्य करना पड़ेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि जो जैसा करता है, उसको वैसा ही वापस होकर मिल जाता है। जिस प्रकार किसान खेती करता है, तो उसे अन्न रूपी लाभ मिलता है। लाभ का दूसरा अर्थ भला होता है। यदि हम किसी का भला करेंगे तो हमारा भला होगा और यदि हम किसी का बुरा करेंगे तो वापसी में हमें बुराई ही मिलेगी। कलयुग में केवल एक ही चरण बचा है और वह है सत्य। जो कभी भी समाप्त नहीं हो सकता, बाकि तीन धर्म समाप्त हो चुके हैं।
 इसके साथ ही उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा सुनाई और राजमहल में जन्म के बाद भी अपनी पत्नी एवं छोटे भाई लक्ष्मण के साथ खाली पैर वन जाने का वृतांत बताया। कहा हमे चलते-फिरते उठते-बैठते और हर अवस्था में हमें भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए। मनुष्य को अच्छे व्यक्ति का संग करना चाहिए। अच्छे व्यक्ति के साथ रहने से अच्छे संस्कार मिलते हैं और बुरे व्यक्ति का संग करने से बुरे संस्कार मिलते हैं। इनके अलावा अयोध्या से पधारी साध्वी किशोरी प्रिया ने भी संगीतमय प्रवचन से सभी का मन मोह लिया है।