तिसरी, गिरिडीह
रिपोर्ट : पिंटू कुमार (9507642637)
तीसरी प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव बरतल्ला में पिछले 3 वर्षों में 40 में से 10 घरों के लोगों ने सनातन धर्म छोड़कर क्रिश्चियन धर्म अपना चुके हैं और यह सिलसिला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ये लोग अंधविश्वास के चपेट में इस कदर आए हैं कि हिंदू देवी देवता की पूजा करना तो दूर बल्कि आस-पड़ोस के लोगों को पुजा करने से मना भी करते हैं। यहां तक की अब प्रसाद भी नहीं खाते हैं, जबकि आज से लगभग 3 वर्ष पहले ये सभी लोग अखंड हिंदुत्व को मानते थे।
बता दें कि तिसरी प्रखंड के गड़कुरा पंचायत स्थित बरतल्ला गांव में लगभग चालीस घर हैं। इनमें से 10 घरों के लोगों ने सनातन धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म में अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है। इतना ही नहीं धर्म परिवर्तन किए लोगों ने आसपास के लोगों को भी सनातन धर्म छोड़ कर ईसाई बनने का दवाब दे रहे हैं। साथ ही उन्हें पूजा पाठ आदि करने पर विरोध भी कर रहे हैं।
बताते चलें कि यह सिर्फ तिसरी के बरतल्ला का हाल नहीं है बल्कि तिसरी के कानीचियार, रिजनी, कर्णपुरा आदि गांवों में भी लोगों का धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है।
इस संबंध में जब धर्म परिवर्तन किए लोगों से जानकारी लिया गया तो उन्होंने बताया कि आज से लगभग 3 वर्ष पूर्व उनके साथ कई समस्याएं थी। उनकी स्तिथि बेहद खराब थी। मोबाइल में वीडियो देख कर एवम कुछ लोगों द्वारा प्रोत्साहित करने के बाद वे लोग अपना सनातन धर्म छोड़ ईसाई धर्म को अपनाए हैं। जिसके बाद से अब उनके जीवन में काफी सुधार आया है।
वहीं जब सनातन धर्म का पालन करने वाले लोगों से बातचीत किया गया तो उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कुछ लोगों द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। और लोगों को ईसाई धर्म में लाने के लिए तरह तरह के लालच व अंधविश्वास दिखा कर लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। जिन लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर ईसाई समुदाय में जुड़े है अब उनके द्वारा उन सभी को धर्म परिवर्तन करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कुछ लोगों द्वारा उन्हें लालच दिया जा रहा है तो कुछ लोगों द्वारा सनातन धर्म का पालन करने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। अगर वे पूजा अर्चना करते हैं तो धर्म परिवर्तन किए लोगों द्वारा उन्हें परेशान भी किया जाता है।
साथ ही ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके द्वारा सनातन धर्म छोड़कर दूसरे धर्म में गए लोगों को समझाने का काफी प्रयास किया गया है लेकिन वे किसी की भी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं।