रांची
सोमवार को भगवान जगन्नाथ एकांतवास से बाहर आएंगे। शाम चार बजे से उनकी नेत्रदान की रस्म शुरू होगी। शाम पांच बजे के बाद भगवान सभी के दर्शन के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। इससे पहले भगवान जगन्नाथ सहित सभी देवी-देवताओं को लाकर दर्शन मंडप में रखा जाएगा। फिर आरती के बाद भोग लगाया जाएगा। इसके बाद आम श्रद्धालु भगवान की पूजा कर सकेंगे। भगवान पूरी रात दर्शन मंडप में रहेंगे और रात्रि विश्राम वहीं करेंगे।
अगले दिन मंगलवार को सुबह भगवान का पूजन कर पांच बजे के बाद उनका पट खोल दिया जाएगा। वहीं दिन के समय पर्दे बंद कर भगवान सहित सभी देवी-देवताओं को रथ में बिठाया जाएगा। इसके बाद रथ को सजाकर विष्णु जी की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी जाएगी। इसके बाद श्रद्धालु रथ खींचकर मौसीबाड़ी जाएंगे, जहां भगवान के सभी विग्रहों को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। वहीं मंगल आरती और भोग लगाने के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। ज्ञात हो कि चार जून को स्नान यात्रा के दिन से ही प्रभु एकांतवास में चले गये थे.
सजधज कर रथ हुआ तैयार
रथयात्रा के लिए भगवान का रथ सजाया गया है। इसे पेंट कर सजाया और सजाया गया है। स्थानीय कलाकारों के साथ ओडिशा के कलाकारों ने इसे सजाया है।
मेला स्थल पर सजी दुकानें
मेला स्थल पर मिठाई व अन्य दुकानें सज गई हैं। दुकान मुख्य मंदिर से लेकर मौसीबाड़ी तक जगन्नाथपुर गोलचक्कर और उसके आसपास के इलाकों में स्थित है। मेले में झूलों के अलावा मीना बाजार और मौत का कुआं भी है। यह मेला घुरती रथ मेला तक चलता है।
नेत्रदान के दिन क्या होगा
▪️सुबह पांच बजे सुप्रभातम
▪️सुबह 6 बजे मंगल आरती
▪️दोपहर 12 बजे अन्न भोग
▪️शाम 4 बजे नेत्रदान पूजा
▪️शाम 5 बजे मंगल आरती के साथ सभी दर्शन सुलभ
▪️रात 9 बजे आरती व भोग
रथयात्रा के दिन क्या होगा
▪️सुबह पांच बजे भगवान जगन्नाथ स्वामी का दर्शन सुलभ
▪️दोपहर के दो बजे दर्शन बंद
▪️दोपहर के 2:30 बजे तक सभी विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा
▪️दोपहर के तीन बजे तक शृंगार.
▪️दोपहर के तीन बजे से साढ़े चार बजे तक विष्णु सहस्त्रनाम पूजा
▪️शाम पांच बजे रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान करेगा
▪️शाम छह बजे रथ का मौसीबाड़ी आगमन
▪️शाम 6.05 बजे महिलाएं रथ पर भगवान की पूजा करेंगी
▪️शाम सात बजे दर्शन बंद व विग्रहों को मंदिर में रखा जायेगा
▪️रात आठ बजे 108 मंगल आरती के बाद शयनम