West Bengal: 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' का ट्रेलर रिलीज होते ही निर्देशक सनोज मिश्रा को होना पड़ा सीएम के गुस्से का शिकार, कोलकाता पुलिस ने उन्हें भेजा नोटिस


कोलकाता

'द केरला स्टोरी' को लेकर विवाद अभी भी जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यह फिल्म अभी भी बंगाल के सिनेमा हॉल में खुले तौर पर नहीं दिखाई जा रही है, लेकिन अब एक नई फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' को लेकर विवाद शुरू हो गया है. फिल्म रिलीज होने से पहले ही फिल्म के डायरेक्टर सनोज मिश्रा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गुस्से का शिकार हो गए हैं. इस फिल्म के लिए पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा है। फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा को इस थाने के अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक सुब्रत कर के समक्ष पेश होने को कहा गया है. उन्हें 30 तारीख को दोपहर 12 बजे थाने आने को कहा गया है।

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने टीवी 9 हिंदी को बताया कि असल में फिल्म से सच सामने आ रहा है. इसकी 'द करेला स्टोरी' में भी सच्चाई सामने आई थी। सरकार ने उस फिल्म पर बैन लगा दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बैन को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि फिर से राज्य सरकार और ममता बनर्जी को डर है कि सच सामने आ जाएगा। इसलिए फिल्म के डायरेक्टर को रिलीज से पहले ही नोटिस भेज दिया गया है, लेकिन सच जनता से छुपाया नहीं जा सकता. सच एक न एक दिन सामने आ ही जाएगा।

'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' का पोस्टर देख भड़कीं टीएमसी 

तृणमूल कांग्रेस के एक शीर्ष नेता का कहना है कि फिल्म के ट्रेलर और पोस्टर को देखकर लगता है कि इस फिल्म के जरिए टीएमसी और ममता बनर्जी की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर में जिस तरह से एक महिला को दिखाया गया है और वह नीले पाड़ की सादी साड़ी पहने हुए है और हाथ में एक छोटी सी घड़ी लिए हुए है और भाषण देती नजर आ रही है. बाल बांध रखा है। एक नजर में ऐसा लगता है जैसे ये ममता बनर्जी हैं और ये पूरी तरह बीजेपी स्पॉन्सर्ड फिल्म है.

उन्होंने कहा कि यह ममता बनर्जी की छवि खराब करने की कोशिश है। एक समुदाय विशेष के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गई है। आरोप लगाया जा रहा है कि यह सच दिखाने के नाम पर झूठ फैला रही है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर ने राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर हमला बोला है.

ममता सरकार की छवि खराब करने की कोशिश 

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं, ''मौजूदा सरकार अजीब नीति पर चल रही है. तृणमूल कांग्रेस ने सबसे पहले 'द कश्मीर फाइल्स' का विरोध किया। फिर 'द केरला स्टोरी' को बैन कर दिया गया और अब फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' भी रिलीज नहीं हुई है। इसके फिल्म डायरेक्टर को नोटिस भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद वाममोर्चा के शासन में मुसलमानों को अहसास हो गया था और 34 साल के शासन में वामपंथियों ने उनके विकास के लिए कोई काम नहीं किया और अब तृणमूल कांग्रेस के शासन में एक मुसलमानों का एक वर्ग चीजों के बारे में सोचने लगा।

साथ ही कहा कि भानगढ़ से आईएसएफ विधायक की जीत और सारागढ़िघी में टीएमसी की हार इसी दिशा की ओर इशारा करती है। बता दें कि राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 30 फीसदी है और इस समुदाय ने पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में खुलकर ममता बनर्जी की पार्टी का समर्थन किया था.

पंचायत चुनाव-लोकसभा चुनाव से पहले टीएमसी सतर्कता बरत रही है 

हाल ही में सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी की हार के बाद माना जा रहा था कि मुस्लिमों का एक वर्ग ममता बनर्जी से नाराज है। उसके बाद ममता बनर्जी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए कई कदम उठाए हैं. मंत्री बदला और अल्पसंख्यक मोर्चा का अध्यक्ष बदला और अब सीएम ममता बनर्जी ने खुलकर केंद्र सरकार का विरोध किया है और लोकसभा चुनाव से पहले या पंचायत चुनाव से पहले वह अल्पसंख्यकों को यह संदेश देना चाहती हैं कि तृणमूल कांग्रेस उनके साथ है.