गोपालगंज, बिहार
रिपोर्ट : सत्य प्रकाश
गोपालगंज जिले की दो चीनी मिलें बंद पड़ी हैं तथा गन्ना किसानों का करोड़ों रुपया गटक कर बैठ गयी हैं। न कोई उन रुपयों को देने वाला है, न हीं दिलाने वाला। अब बारी विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज की चल रही है।
विष्णु सुगर मिल हरखुआ गोपालगंज में मिल परिसर में हीं मेहनतकश किसानों को लूटा जाता है और इस लूट में मिल प्रबंधन के पदाधिकारियों के साथ मिल के मालिक भी शामिल हैं, जिनके घर पश्चिम बंगाल में रुपए भरकर पहुंचाए जाते हैं। दिन रात एक कर, पसीना बहा किसान गन्ने की बुआई करता है और मिल में जब वह ट्रैक्टर ट्राली पर लाद कर गन्ना लेकर आता है तो मिल प्रबंधन के अधिकारी और पदाधिकारी उसे मिल परिसर में यह कहकर अलग खड़ा करवा देते हैं कि ईख की उसकी वेरायटी रिजेक्टेड है, तौल नहीं होगी।
मिल परिसर से वह गन्ना लदी ट्रैक्टर ट्राली बाहर भी नहीं जाती. जब रात होती है तो उसी गन्ना लदी ट्रैक्टर ट्राली को मिल के दलाल मिल परिसर में हीं मोल भाव कर औने पौने दाम में खरीद लेते हैं और वही गन्ना लदी ट्रैक्टर ट्राली कांटे पर तौल हो जाती है। जब किसान रिजेक्ट वेरायटी का नाम सुन डर जाता है, तब यह काम मिल प्रबंधन करवाता है और किसी प्रकार बेचने को किसान विवश हो जाता है। मिल परिसर में ऐसे दलाल हैं, जिनका सर्वेक्षण रिपोर्ट में दूर दूर तक नाम नहीं है और उनके नाम पर प्रतिदिन दस दस ट्रालियां, बारह बारह ट्रालियां गन्ना तौल कर भुगतान लिया गया है। ये कौन लोग हैं, जिनपर मिल प्रबंधन और मालिक मेहरबान होता है तथा आम किसानों का दिन दहाड़े शोषण और लूट किया जाता है? इस लूट के हिस्से में विभाग के नीति निर्धारकों के शामिल होने की भी बात कही जा रही है।
हम पार्टी के जिला अध्यक्ष पंकज सिंह राणा ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर वैसे किसान कहे जाने वाले गन्ना माफियाओं की सूचि मंगा कर मिल प्रबंधन द्वारा कराए गए भू सर्वेक्षण, गिराए गए गन्ना और मिल प्रबंधन द्वारा किए गए भुगतान की जांच कराने की मांग की है। वहीं जिनके पास जमीन नहीं, जिनका सर्वेक्षण नहीं वैसे लोगों ने मिल में एक एक दिन दस दस ट्रालियां गन्ना कैसे गिराया, यह अहम् सवाल है?