मोतिहारी
यह कोई जरूरी नहीं की हम केवल दूसरे प्रदेश में जा कर ही पैसा कमा सकते है। कुछ करने का जज्बा और योजना की जानकारी हो तो कम पूंजी में भी घर परिवार के साथ रह कर आप अच्छा पैसा कमा सकते है। ऐसा ही कर रहे है पिपरा कोठी प्रखंड के सूर्यपुर पंचायत के पड़ौलिया निवासी रिटायर्ड आर्मी के जवान राजेश कुमार यादव, जो पपीता की खेती कर हर वर्ष दस लाख रुपए कमा रहे है। इतना ही नहीं गांव के कुछ लोगो को रोजगार तक दिया है, जो उनके पपीता का देख रहे करते है। आज मार्केट में उनके पपीता का खूब डिमांड है। व्यापारी खेत आकर पपीता लेकर चले जाते है।
कैसे की पपीता की खेती की शुरुआत
राजेश ने बताया की जब वह छुट्टी में घर आते थे तो घर के पास ही के पिपरा कोठी जाते थे, तीन वर्ष पहले उनकी मुलाकात अरविंद सर से हुई जिन्होंने पपीता के रेड लेडी ताइवान 786 की खेती की सलाह दिया, लेकिन वह नौकरी में थे तो मात्र एक बीघा में किया, जो पौधा 20 रुपए में मिलता था वह उन्हें सब्सिडी काट कर मात्र छह रुपए प्रति पिस मिला। शुरुआत मात्र 15 हजार रुपए से किया, ठीक ठाक पैसा बचा, जब पिछले वर्ष रिटायर दिया तो दूसरे जगह नौकरी ना कर अपनी खेती में करना शुरू कर दिया और पुराने पौधों को कटवा कर फिर से दो बीघा में 22 सौ पौधा लगाया, जिसमे कुल खर्च 70 से 80 हजार रुपए आया, जो खर्च आया वह दूसरा फसल उसी में लगा कर अपना पूंजी निकाल लिए, पपीता से जो पैसा आ रहा है वह शुद्ध मुनाफा है।
हर दो दिन पर टूटता है पपीता
राजेश बताते है कि एक पेड़ जो पैदा होने के बाद 18 माह तक फलता है। हर दो से तीन दिन पर चार से पांच क्विंटल पपीता निकलता है। जो की खेत से ही व्यापारी 30 रुपए प्रति किलो के भाव से लेकर जाते है। पपीता के बीच सीजन के हिसाब से कभी अदरक की खेती तो कभी फूल की खेती कर उससे अलग पैसा कमा लेते है। साल में सब मिला कर उनके मजदूरों कर खर्च 70 हजार रुपए के करीब आता है। जो की उसका जोताई कोराई और पानी पटवन के लिए करते हैं।