देवरी, गिरिडीह
रिपोर्ट : रंजित कुमार
देवरी प्रखंड के सुदूरवर्ती एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र भेलवाघाटी पंचायत में वर्षा का जल रोकने, सिचाई और पेयजल सुविधा हेतु डैम का निर्माण के लिए विभाग को कई बार आवेदन दिया गया है। इस आलोक में सर्वे भी हुआ, अनुशंसा भी हुआ है किंतु निर्माण की स्वीकृति नहीं मिला है। इस बाबत उक्त पंचायत के मुखिया विकास ने पुनः उपायुक्त सह-जिला दण्डाधिकारी गिरिडीह और सचिव जल संसाधन विभाग, झारखण्ड सरकार, नेपाल हॉउस, राँची को आवेदन देकर बांध निर्माण की मांग की है। आगे आवेदन के माध्यम से विभाग को अवगत किया जा रहा है कि यह पंचायत देवरी प्रखंड के सबसे अविकसित, अतिनक्सल प्रभावित व सुदूरवर्ती पंचायत के नाम से जाना जाता है। पंचायत में अधिकांश गरीब व आदिवासी तबके के लोग है।
खेती नहीं होने की वजह से लोग कर रहे हैं पलायन
इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य पेशा खेती करना है। कृषि पुरी तरह से मानसून पर निर्भर है। प्रायः कृषि कार्य के समय मानसून दगा दे जाता है। भू- जलस्रोत के अभाव में जंगल भी नहीं बढ़ पाता है। सिर्फ बरसात में हीं जंगल हरा भरा दिखता है, इसके बाद बंजर जमीन ही चारो और दिखता है। इस क्षेत्र के भू जल स्रोत भी नहीं के बराबर है। सिर्फ बरसाती नदी है, जो बरसात के समय ही पानी बहता है। जानवरों को भी पीने के लिए पानी नही मिल पाता है। कुआं और तालाब शीत ऋतु खत्म होने का साथ ही सुख जाता है। चापाकाल और बोरवेल भी सुख जाता है। इस क्षेत्र में हर घर नल जल के लिए किया गया बोरिंग भी फेल हो गई है। यहां की सुविधा नहीं होने के कारण लोग अपने भुमि पर फसल नहीं लगा पाते हैं। सभी लोगों के पास खेती लायक जमीन है, जो सिर्फ वर्षा ऋतू में फसल लगाते हैं, परन्तु सिंचाई की सुविधा नहीं होने से भुमि पर फसल नहीं उगा पाते हैं। साथ हीं सूखा या अल्प वर्षा से फसल कभी कभी नहीं के बराबर होता है और लोग जीवन यापन के लिए कर्ज का शिकार हो जाते हैं। हर घर से लोग आये दिन अपने परिवार का जीवन यापन के लिए दुसरे राज्यों में जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, आदि अन्य प्रदेशों में काम की तलाश में जाना पड़ता है। कुछ लोग विवश होकर समाज की मुख्य धारा से अलग भी होकर नक्सली बन जाता है।
10000 (दस हजार ) हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा के लिए हो सकता है उपलब्ध
एक पठार के बीच से नदी बहती है। यदि इस जगह मात्र 30 मीटर चौड़ाई का बांध बनाकर नहर द्वारा जल खेतों तक पानी पहुंचाया जाय तो इस इलाका का सुखाड़ खत्म हो जाएगा, वहीं पेयजल संकट भी क्षेत्र से दूर हो जाएगा। परन्तु मामला ठंडे बस्ते में डाला गया और आज तक कोई कार्य नहीं हुआ। अरगा नदी में डैम बनाने से इस पंचायत दर्जनों गांवों में 10000 (दस हजार ) हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकता है। सिंचाई सुविधा के साथ-साथ ग्रामीणों की आय की स्रोत में भी सुधार होगा। भुखमरी की समस्या सब दिन के लिए समाप्त हो सकती है। अत यथाशीघ्र इस नदी पर बांध का निर्माण करने की आवश्यकता है। लघु सिचाई विभाग द्वारा डेम निर्माण हेतु सर्वे किया था, और डेम निर्माण के लिए उपयुक्त जगह पाया और अपनी अनुशंसा करते हुए लिल्हा गया है कि यह वृहत (Major) सिचाई योजना से बन सकती है।
जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2016 में स्थल निरीक्षण और विस्तृत सर्वे करने का दिया गया था निर्देश
सिंचाई की समस्या के समाधान हेतु शिकायती आवेदन पर मुख्य अभियंता (मुख्यालय), जल संसाधन विभाग, राँची के पत्रांक 177 दिनांक 04.03.2016 स्थल निरीक्षण और विस्तृत सर्वे करने का निर्देश दिया गया था। पुनः वर्ष 2016 में माननीय विधायक द्वारा भी डेम निर्माण की मांग करते हुए विधानसभा में प्रश्न पूछा गया था. फिर कार्यपालक अभियंता कोनार नहर प्रमंडल, डुमरी द्वारा भी डेम निर्माण की अनुशंसा करते हुए प्रतिवेदन उच्च अभियंता को लिखे हैं। अधीक्षण अभियंता तेनुघाट बांध अंचल द्वारा भी डेम निर्माण के लिए उपयुक्त जगह पाकर अपनी अनुशंसा मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, हजारीबाग को पत्रांक 435 दिनांक 04.11.2022 द्वारा भेजा गया है, जो विभाग के फाइलों में पड़ा हुआ है। सम्बंधित पदाधिकारियों के द्वारा पांच वर्ष पूर्व भेलवाघाटी गाँव के अरगा नदी में के पास डैम निर्माण के लिए सर्वे भी किया गया।
नहर निकाल कर दर्जनों गांवों में सिंचाई की सुविधा की जा सकती है बहाल
सर्वे में लिखा गया है की उक्त स्थल में नदी के तल की चौड़ाई 100 फीट है और नदी के दोनों किनारे पर पथरीली बिना वृक्ष की पहाड़ी है। उक्त जगह पर बांध के निर्माण कराने से दोनों तरफ (दायीं व् बायीं ) नहर निकाला जा सकता है। दायीं नहर से डोमाडीह, कारी पहरी, गरंग, गरंगघाट तथा तिलकडीह पंचायत के बरवा टोला, सिजुआ, गरही, सीताकोहबर, चौकी, पिपरा, लाही बारी, फुटका, कोयरीडीह समेत अन्य दर्जनों गांवों में सिंचाई की सुविधा बहाल की जा सकती है। उसी तरह बायीं तरफ नोनियातरी, रमणी टांड, जगसिमर, हरकुंड, सलैयाटांड, बरमसिया, लोही तथा गुनियाथर पंचायत के दर्जनों गांवों में सिंचाई की सुविधा बहाल की जा सकती है। इस नदी के अप स्ट्रीम में एक छोटकी नाला है, जिसकी लम्बाई लगभग 1.5 (डेढ़) किमी लम्बी है। बाँध के निर्माण हो जाने से इस नाला में होने वाले जल जमाव से भेलवाघाटी गाँव के दोनों तरफ अतिरिक्त सिचाई की सुविधा बहाल हो सकती है।
पटवन की सुविधा बहाल होने से ग्रामीणों में पलायन में आएगी कमी
सर्वे में आगे कहा गया है कि ग्राम पंचायत भेलवाघाटी अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है, एवं ग्रामीणों का मुख्य पेशा कृषि है। सिचाई की सुविधा नहीं रहने के कारन जीवन यापन करने में कठिनाई होती है, और रोजगार की तलाश में ग्रामीणों का पलायन होता है। बांध एवं नहर का निर्माण हो जाने से बंजर खेतों में जहाँ सिचाई की सुविधा लगभग 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पटवन की सुविधा बहाल होने से ग्रामीणों में पलायन में कमी आएगी एवं कृषकों की आय में वृद्धि हो सकती है। ये सारी बातें सिर्फ सर्वे रिपोर्ट में ही अभी तक सीमित है अब देखना है यह कि विभाग द्वारा इसे धरातल पर उतरते हैं कि सिर्फ एक रिपोर्ट तक ही सीमित रह जायेगी।